यूनिवर्सिटीज के फाइनल एग्जाम को लेकर मंगलवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. देशभर के 31 छात्रों ने यूजीसी से फाइनल एग्जाम न कराने का अनुरोध करते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, इस पर कोर्ट ने यूजीसी से जवाब मांगा था. बता दें कि यूजीसी ने संशोधित शेड्यूल में सितंबर से एग्जाम कराने की बात कही थी. इस पूरे मामले में देश भर के स्टूडेंट्स एग्जाम का विरोध कर रहे हैं. जानिए छात्रों के विरोध की वो 7 बड़ी वजहें क्या हैं.
मुंबई विश्वविद्यालय के छात्र मुदाप्पला प्रणव नायर ने aajtak.in से बातचीत में कहा कि देशभर के
कॉलेज होली की छुट्टियों के दौरान ही बंद हो गए थे. उसके बाद देशभर में
लॉकडाउन होने से छात्रों को घर जाना पड़ा. किताबें हॉस्टल
के कमरों में बंद हैं, बीस से तीस प्रतिशत पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हुआ है.
ऐसे में 20 % सिलेबस पढ़कर हम परीक्षा कैसे दे सकते हैं. छात्र इस वजह से
बहुत ज्यादा मानसिक तनाव
में हैं.
छात्र दूसरी वजह ये बता रहे हैं कि सभी कोर्स के स्टडी मटीरियल ऑनलाइन उपलब्ध नहीं हैं. कंप्यूटर साइंस जैसे
कोर्स के ऑनलाइन लेक्चर हैं लेकिन बाकी कोर्स जैसे B.A, B.com, B.sc जैसे
पारंपरिक कोर्स का कोई स्टडी मटीरियल ऑनलाइन उपलब्ध नहीं है.
तीसरी वजह इंटरनेट कनेक्टिविटी है. हाल ही में NSO इंडिया का सर्वे है कि 5-24
वर्ष की उम्र के बीच के केवल 8% लोगों के पास इंटरनेट और लैपटॉप दोनों चीजें उपलब्ध हैं. डॉ एपीजे टेक्नीकल यूनिवर्सिटी के छात्र तनुज शर्मा कहते हैं
कि हम लोग फोन के माध्यम से इंटरनेट चलाते हैं, वो भी कोई बहुत अच्छे
हाईटेक फोन नहीं हैं और जिसके कारण अधिकांश छात्र ऑनलाइन परीक्षा नहीं दे सकते.
चौथी वजह पर बात करते हुए नॉर्थ ईस्ट हिल यूनिवर्सिटी की छात्रा भासवती चौधरी कहती हैं कि ऑफलाइन परीक्षा से कोरोना संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा. हाल ही में हुई एक परीक्षा में ऐसा देखा गया कि बड़ी संख्या में छात्रों के इकट्ठा होने से पैनडेमिक प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन नहीं हो सका.
छात्रों को फाइनल ईयर परीक्षा देने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर यात्रा करनी होगी. इसके बाद वो हॉस्टल या किराये के कमरों में आकर अगर रहते भी हैं तो दोनों ही जगह संक्रमण के खतरों को रोका नहीं जा सकता.
छात्र एक खास वजह ये भी बता रहे हैं कि एग्जाम में पहले ही देरी हो चुकी है. अब परीक्षाओं के आयोजन और रिजल्ट आने में जो वक्त लगेगा, उससे उनके करियर का बहुत नुकसान होगा. क्योंकि अभी विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन बंद होने वाले हैं. इसके अलावा प्लेसमेंट में भी वो नहीं जा पा रहे.
सबसे महत्वपूर्ण वजह की बात करें तो छात्र ये कह रहे हैं कि जहां एक ओर कुछ राज्यों ने परीक्षाएं करा दी हैं, वहीं दूसरे राज्य में परीक्षा होने से दोनों राज्यों के छात्रों के अंकों और रिजल्ट में अंतर आएगा. इससे उनके बीच बराबरी के अवसर कम हो जाएंगे. इन्हीं खास वजहों को लेकर छात्र लगातार यूजीसी से परीक्षाएं न कराने का अनुरोध कर रहे हैं.