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एजुकेशन

प्रेग्नेंसी में भी नहीं छोड़ी तैयारी, कस्बे की ये बेटी ऐसे बनी IPS अफसर

प्रेग्नेंसी में भी नहीं छोड़ी तैयारी, कस्बे की ये बेटी ऐसे बनी IPS अफसर
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इंसान अगर पूरे मन से किसी लक्ष्य को पाने की कोश‍िश करता है तो भले ही वो दो बार हार जाए. लेकिन अगर वो हार से बिना डरे अपना प्रयास करता रहे तो वो एक न एक दिन सफलता उसके कदम चूमती है. कुछ ऐसी ही कहानी पश्चि‍मी उत्तर प्रदेश के कस्बे बड़ौत की रहने वाली डॉ प्रज्ञा जैन की है. पहले डॉक्टर और फिर प्रैक्ट‍िस छोड़कर प्रज्ञा ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की. तीसरे प्रयास में उन्हें सफलता मिली और आईपीएस बनने का सपना पूरा किया. आइए जानें कैसा रहा सफर और कैसे की तैयारी.
प्रेग्नेंसी में भी नहीं छोड़ी तैयारी, कस्बे की ये बेटी ऐसे बनी IPS अफसर
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एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में डॉ प्रज्ञा ने बताया कि मेरी शुरूआती पढ़ाई-लिखाई छोटे से कस्बे बड़ौत में हुई. ये एक तहसील है, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में आता है. उनके पिता आयुर्वेदिक डॉक्टर और मां दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं. दोनों पढ़े-लिखे हैं, इसका फायदा उन्हें भी मिला.
प्रेग्नेंसी में भी नहीं छोड़ी तैयारी, कस्बे की ये बेटी ऐसे बनी IPS अफसर
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वो बताती हैं कि शुरू से ही माता-पिता ने अच्छी शिक्षा पर बहुत जोर दिया थाा. इसका नतीजा ये रहा कि उन्होंने 10वीं और 12वीं कक्षा में जिला स्तर पर फर्स्ट रैंक हासिल की. बचपन से ही वो लोगों को बीमार या दुखी देखकर उनके लिए कुछ करने की सोचती थीं, इसलिए उन्होंने डॉक्टरी का पेशा चुना.
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पहले बड़ौत में और फिर शादी के बाद दिल्ली में अपना क्लीनिक खोला. यहां आकर डॉक्टरी शुरू की लेकिन कुछ साल बाद यह लगने लगा कि शायद लोगों की मदद करने का इससे बड़ा जरिया भी तलाशा जा सकता है. तभी उनके मन में UPSC की परीक्षा देकर आईपीएस अफसर बनने का ख्याल आया.
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फिर उन्होंने तैयारी शुरू कर परीक्षा दी और पहले प्रयास में हीं इंटरव्यू तक पहुंच गईं. लेकिन इंटरव्यू में कुछ नंबर कम होने के चलते फाइनल लिस्ट में जगह नहीं मिल पाई. फिर जब दूसरे प्रयास का वक्त आया तो हेल्थ ने साथ नहीं दिया. इस‍ बार वो प्रीलिम्स तक क्लीयर नहीं कर पाईं.
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फिर जब तीसरे प्रयास की बारी आई तो वो प्रेग्नेंसी का कठिन समय था. उस वक्त डॉक्टर ने उन्हें बेड रेस्ट की सलाह दे दी. डॉ प्रज्ञा कहती हैं कि तब भी मैंने हिम्मत नहीं हारी और हौसला रखकर फिर से इंटरव्यू तक पहुंच गई. इस बार किस्मत और मेहनत ने साथ दिया और साल 2017 में उनका भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयन हो गया.
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न थम, न हार...मुस्कुरा और चला चल, जी ये जिंदगी कुछ इस तरह कि लाखों की मिसाल बन.... सोशल मीडिया में कुछ इस तरह का बायो रखने वाली डॉ प्रज्ञा के हौसले कभी नहीं टूटे. वो बताती हैं कि ट्रेनिंग के समय 6 माह की बेटी को छोड़कर जाना भी आसान नहीं था. यहां शारीरिक व्यायाम जैसे कि 16 किमी की दौड, घुड़सवारी, तैराकी इत्यादि के स्तर को पाना भी मुश्किल लग रहा था.
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वहां ट्रेनिंग के दौरान साइकिलिंग करते वो एक बार दुर्घटना का भी शि‍कार हो गईं. इसमें उनके दोनो हाथों की हड्डी में फ्रैक्चर भी हुआ. आखि‍रकार एक छोटे कस्बे से निकली बड़े हौसलों वाली इस बेटी ने आईपीएस अफसर बनकर न सिर्फ अपने परिवार और कस्बे बल्क‍ि देश का नाम भी रोशन किया.

(सभी फोटो: FACEBOOK से)
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