हर साल 9 मई को रूस अपना विक्ट्री डे मनाता है. ये रूसी सेनाओं का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है. इस साल कोरोना महामारी के कारण ये 24 जून को मनाया जा रहा है. द्वितीय विश्वयुद्ध की 75वीं वर्षगांठ के तौर पर ये खास दिन मनाया जाता है. रूस की विक्ट्री डे परेड के 75 साल पूरा होने पर देश के रक्षामंत्री भी हिस्सा ले रहे हैं. आइए जानते हैं- क्यों होती है विक्ट्री डे परेड जिसमें चीन काे भी न्यौता दिया गया है.
विक्ट्री डे रूस और स्वतंत्र राज्यों के राष्ट्रमंडल (बाल्टिक और यूक्रेन को छोड़कर) के लगभग सभी सदस्य देशों का मुख्य मिलिट्री हॉलीडे है. ये रूस की राजधानी मास्को और मुख्य राजधानी शहरों में हर साल मनाया जाता है. ये दिन रूस सरकार द्वारा उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
रूस में ये खास दिन 1945 में नाजी जर्मनी की राजधानियों की वर्षगांठ के तौर पर मनाते हैं. ये दिन द्वितीय विश्व युद्ध में रूस के मित्र देशों की जीत को चिह्नित करते हैं. इसी दिन बर्लिन में विजयी सहयोगियों ने कैपिट्यूलेशन के जर्मन अधिनियम पर हस्ताक्षर किया था. इसके अलावा 9 मई, 1945 (सोवियत समय) की मध्यरात्रि में यूरोप और अफ्रीका के उत्तरी भागों में द्वितीय विश्व युद्ध का आधिकारिक समापन हुआ..
राजनाथ का ये दौरा तीन दिनों का होगा, जहां पर वो रूस की विक्ट्री डे परेड के 75 साल पूरा होने पर कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे. खास बात ये है कि इस दौरान यहां पर चीन के प्रतिनिधि, मंत्री भी शामिल होंगे, लेकिन राजनाथ सिंह उनसे मुलाकात नहीं करेंगे.
दूसरे विश्व युद्ध में सोवियत संघ की जीत के
मौके पर ये विक्ट्री परेड निकाली जा रही है. पहले ये परेड मई में निकलनी
थी, लेकिन कोरोना संकट की वजह से टल गई. इस दौरान कई देशों के प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे, जहां रूसी विदेश मंत्री
सभी का स्वागत करेंगे. खबर है कि चीन के मंत्री भी इस कार्यक्रम में
हिस्सा लेंगे, लेकिन मौजूदा तनाव के कारण राजनाथ सिंह उनसे मुलाकात नहीं
करेंगे.
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच भले ही सैन्य और कूटनीतिक लेवल की बातचीत
जारी हो, लेकिन 20 भारतीय जवानों की शहादत के बाद माहौल तनावपूर्ण बना हुआ
है. रूस में ये परेड 24 जून को निकलेगी, ऐसे में राजनाथ का दौरा तीन दिनों का होगा.
आपको बता दें कि भारत की तीनों सेनाओं के 75 सदस्य पहले ही विक्ट्री परेड
में हिस्सा लेने पहुंच चुके हैं. इस परेड में रूस और अन्य सेनाओं के साथ
भारतीय सेना के जवान भी हिस्सा लेंगे.
विजय दिवस परेड में हिस्सा लेने वाली
टुकड़ी का नेतृत्व वीर सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट के एक बड़े रैंक के
अधिकारी द्वारा किया जा रहा है. बता दें कि इस साल 9 मई के बजाय कोरोना वायरस की वजह से इस साल परेड को 24 जून को आयोजित किया जा रहा है.
वैसे ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार 24 जून, 1945 को पहली विक्ट्री डे परेड
हुई थी. इस दौरान रूसी सैनिकों ने न केवल नाजियों से मास्को के लिए लड़ाई
लड़ी थी, बल्कि लेनिनग्राड और स्टालिनग्राड की रक्षा की थी. इसके बाद
उन्होंने रेड स्क्वायर पर शानदार विक्ट्री डे परेड निकाली थी.
इससे पहले साल 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने गए थे. उस समय भी भारत के 75 सदस्यों वाले दल ने हिस्सा लिया था और तब ग्रेनेडियर रेजीमेंट ने सेना का नेतृत्व किया था.