अस्सलाम वालेकुम, इंस्टाग्राम के बंदों... नजमा आपी अपने इसी अनोखे अंदाज में वीडियो लेकर आती हैं. वो प्रदूषण से लेकर नागरिकता संसोधन कानून और जेएनयू जैसे विषयों को भी हास्य का पुट देकर किसी को भी हंसाने का हुनर रखती हैं. क्या आप जानते हैं कि इंटरनेट की नई सेंसेशन नजमा आपी हकीकत में न बच्चों की मां हैं औन न ही मुस्लिम परिवार से हैं. बल्कि वो दिल्ली की 20 साल की उम्र की एक लड़की हैं. उनका असली नाम सलोनी गौड़ है. आइए जानते हैं कैसे सलोनी नजमा आपी के तौर पर आकर अचानक छा गई हैं.
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बीते कुछ महीनों से इंटरनेट की सनसनी बनीं सलोनी गौड़ दिल्ली में ग्रेजुएशन की स्टूडेंट हैं. एक वीडियो इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि नजमा आपी उनका ही ब्रेन चाइल्ड है. ये कैरेक्टर उन्होंने खुद तैयार किया है.
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17 साल की उम्र से बना रहीं वीडियो
सलोनी बीते दिसंबर में 20 साल की पूरी हुई हैं. वो पहली बार सोशल मीडिया में अपना वीडियो लेकर साल 2017 में आई थीं. तब से उनके प्रशंसकों की संख्या बहुत बढ़ चुकी है.
सलोनी नजमा आपी के पीछे की कहानी बताती हैं कि उस दौरान ईद थी. मैं हिंदू के तौर पर नहीं कह सकती थी, भई शीर बनानी है. इसलिए सोचा कोई कॉमन मुस्लिम नाम हो. तो नजमा ख्याल में आया फिर उसमें आपी जोड़ा. आपी यानी बहन. उसके बाद ईद के जोक बनाए, भाई से डिस्कस किया और वीडियो बना दिया. उस वीडियो को लोगों ने खूब पसंद किया.
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कंट्रोवर्सी से हैं दूर
राजनीति और समाज के हर विषय पर वो जोक बनाती हैं. कुछ दिन पहले उन्होंने सीएए पर भी वीडियो बनाया. सलोनी कहती हैं कि मैं कुछ भी विवादित नहीं बना सकती. मैं चाहती हूं कि लोग जोक पर सिर्फ हंसे.उदाहरण के लिए सीएए ही लें तो मेरे दोनों तरह के दोस्त हैं जो सीएए के विरोध में हैं और समर्थन में भी हैं. लेकिन वीडियो पर मुझे दोनों तरफ से हेट कमेंट नहीं मिले.
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कहां से आई नजमा आपी की वो भाषा
नजमा आपी अपने वीडियो में जो भाषा बोलती हैं वो कुछ कुछ बुलंदशहर की बोली से मिलती है. सलोनी कहती हैं कि हर कोई इस भाषा में बात नहीं करता, कुछ ही लोग ऐसी भाषा में बात करते हैं. इसके पीछे मेरे भाई की भूमिका है, वो ओल्ड दिल्ली जाता रहता है, वो ऐसे बोलता है तो मैंने उसी की मिमिक्री करके सीखा.
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स्टैंड अप कॉमेडियन बनना चाहती हैं
सलोनी फिलहाल ग्रेजुएशन की थर्ड सेमेस्टर में पढ़ती हैं. उनका कहना है कि फिलहाल पढ़ाई में ही पूरा ध्यान है. सलोनी पढ़ने में एक अच्छी स्टूडेंट हैं. उनके पेरेंट्स का भी इसमें पूरा सहयोग है. वो पढ़ाई और वीडियो के साथ सामंजस्य बनाकर काम कर रही हैं.
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अपने फोन से बनाती हैं वीडियो
अपने वीडियो वो फोन से ही बनाती हैं. वो कहती हैं कि वीडियो के लिए पहले मैं बुलेट प्वाइंट बनाती हूं, फिर उसी के हिसाब से जो इंपॉर्टेंट प्वाइंट होते हैं उन्हें लिख लेती हूं. वो कहती हैं कि पहले मैं लिखकर वीडियो बनाती थी, उसमें कई कट होते थे फिर वीडियो तैयार करती थी. अब एक ही कट में हो जाता है.