नेपाल की संसद में दो दिन पहले नक्शे में बदलाव के लिए संविधान संशोधन विधेयक पास किया गया. विधेयक पर विरोध करने वाली हिंदू सांसद सरिता गिरी अब मुसीबत में पड़ गई हैं. विरोधियों ने उनके घर के बाहर काले झंडे लगा दिए. यही नहीं उनके घर पर भी हमला किया गया. आइए जानते हैं कौन हैं सरिता गिरी, क्यों हो रहा उनका विरोध.
बता दें कि सरिता गिरि पहली सांसद हैं जिन्होंने इस संशोधन का विरोध किया है. मधेशी समुदाय के हितों की लड़ाई को लेकर साल 2007 में राजनीति में आई सरिता गिरी को पॉलिटिक्स की अच्छी समझ है.
बता दें कि सरिता गिरि नेपाल की सोशलिस्ट पार्टी से सांसद हैं. उन पर हमेशा आरोप लगते हैं कि नेपाल के हितों के बजाय भारतीय हितों के बारे में सोचती हैं. वो अब तक एक भारतीय नागरिक है जिसकी शादी एक नेपाली नागरिक से हुई है.
नेपाल की एक वेबसाइट के अनुसार सरिता गिरि ने कालापानी क्षेत्र को देश के नए राजनीतिक मानचित्र में शामिल करने के नेपाल सरकार के फैसले पर आपत्ति जताई थी जिससे विभिन्न राजनीतिक दलों के सांसद आश्चर्यचकित रह गए.
बता दें कि सरकार द्वारा नए नक्शे को संविधान का हिस्सा बनाने के लिए लाए गए संविधान संशोधन प्रस्ताव पर अपना अलग से संशोधन प्रस्ताव डालते हुए जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि ने इसे खारिज करने की मांग की है.
अब इसी विरोध को लेकर सांसद सरिता गिरि के घर पर हमला हुआ है. उनके घर पर काला झंडा लगाकार देश छोड़ने की चेतावनी दी गई है. इस घटना की जानकारी सांसद ने पुलिस को फोन पर दी, लेकिन पुलिस उनकी मदद के लिए नहीं पहुंची. यहां तक कि उनकी पार्टी ने भी उनसे किनारा कर लिया है.
जनता समाजवादी पार्टी की सांसद सरिता गिरि ने सरकार के इस नये प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की तो उनकी पार्टी ने भी संशोधन प्रस्ताव वापस लेने का निर्देश दे दिया है. साथ ही प्रस्ताव वापस नहीं लेने पर पार्टी से निलंबित करने तक की चेतावनी दी है.
बता दें कि पिछले हफ्ते नेपाल की संसद में संविधान संशोधन का प्रस्ताव पेश किया गया. सरकार की तरफ से जिस दिन नक्शा संबंधित संविधान संशोधन प्रस्ताव को संसद में पेश किया था, उसी दिन नेपाल के राजपत्र में इसे प्रकाशित कर दिया गया था.
इससे पहले संसद में सहभागी सभी दलों ने इस संशोधन के पक्ष में बोला है. प्रमुख प्रतिपक्षी दल नेपाली कांग्रेस तो पहले ही समर्थन करने की घोषणा कर चुकी है. लेकिन भारत के पक्ष में रहने वाली मधेशी पार्टी ने भी संसद में इसका विरोध नहीं किया है. सरिता गिरि पहली सांसद हैं जिन्होंने इस संशोधन का विरोध किया है.
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