पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया. देश में स्कूली शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ये नारा जोर-शोर से दिया जाता है. खास तौर पर गांवों में बच्चों को स्कूल भेजने पर जोर दिया जाता है. लेकिन हरियाणा के एक सरकारी स्कूल की जमीनी हकीकत को आप जान कर हैरान रह जाएंगे. इस स्कूल में दसवीं में पूरी की पूरी क्लास फेल हो गई. ये कारनामा इसी साल नहीं हुआ. बल्कि बीते तीन साल से यही कहानी चली आ रही है.
बात हो रही है जींद के सिल्लाखेड़ी गांव के राजकीय उच्च विद्यालय की. हरियाणा स्कूली शिक्षा बोर्ड से जुड़े इस स्कूल से इस बार 20 बच्चों ने दसवीं का इम्तिहान दिया जिनमें से एक भी पास नहीं हुआ. अब आपको स्कूल के 2014-15, 2015-16 के रिजल्ट के बारे में भी बता दें. पिछले साल यानि 2015-16 में स्कूल में दसवीं में 15 बच्चे थे, 15 के 15 परीक्षा में लुढ़क गए. वहीं 2014-15 में स्कूल से 22 बच्चों ने दसवीं की परीक्षा दी, एक को भी कामयाबी नहीं मिली.
नतीजा ये रहा कि स्कूल ने दसवीं में सभी बच्चों के फेल होने की हैट्रिक बना ली है. 'आज तक' ने इस खराब रिजल्ट की तह में जाने की कोशिश की. बच्चों से बात की गई तो वो स्कूल के शिक्षकों के ठीक से नहीं पढ़ाने को जिम्मेदार ठहराते दिखे. वहीं, स्कूल के शिक्षकों ने खराब रिजल्ट के लिए स्टाफ की कमी का रोना रोया. कुछ बच्चों ने भी स्टाफ पूरा नहीं होने की बात कही. स्कूल के मुख्य कार्यकारी अध्यापक प्रदीप सिंह के मुताबिक विज्ञान और हिंदी के टीचर के पद खाली होने की वजह से दसवीं का रिजल्ट इतना खराब आया. प्रदीप सिंह के मुताबिक कुल 7 पद खाली पड़े हैं.
गांव की सरपंच अंगूरी देवी के मुताबिक सभी बच्चों का फेल होना शर्म की बात है. सरपंच ने बताया कि स्कूल में शिक्षकों के जो पद खाली हैं, उन्हें शीघ्र भरने के लिए शासन को चिट्ठी भेजेंगी.
स्कूल के खराब रिजल्ट पर जींद की जिला शिक्षा अधिकारी वंदना गुप्ता ने गंभीर रुख अपनाया है. उन्होंने जहां ब्लॉक ऑफिसर से इस संबंध में बात की है, वहीं ये भी कहा है कि वो खुद मौके पर जाकर कारणों का पता लगाएंगी. उन्होंने कहा कि खराब रिजल्ट के लिए जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही ऐसे कदम उठाए जाएंगे कि फिर ऐसा खराब रिजल्ट नहीं आए. जिला शिक्षा अधिकारी ने खराब रिजल्ट के पीछे शिक्षकों की गुटबंदी की संभावना से भी इनकार नहीं किया.