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NEET: 23 कीमोथैरेपी-31 रेडिएशन, हॉस्टिपल में पढ़ाई... आंखें नम कर देगी नीट में 715 अंक लाने वाले मौलिक की कहानी

NEET Success Story of Cancer Survivor Maulik Patel: मौलिक ने बताया कि हॉस्पिटल में कई बार तीन से चार घंटे इंतजार करना पड़ता था, लेकिन इस दौरान भी मैं जैसे-तैसे रेगुलर पढ़ाई करता रहता था. हार न मानने का जज्बा ही था जिसकी वजह से मौलिक ने नीट एग्जाम में 720 में से 715 अंक हासिल किए हैं. अब कैंसर मरीजों की मदद करने के लिए ऑन्कोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं.

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NEET Success Story: नीट रिजल्ट में मौलिक ने 715 अंक हासिल किए हैं.
NEET Success Story: नीट रिजल्ट में मौलिक ने 715 अंक हासिल किए हैं.

NEET Success Story of Cancer survivor Maulik Patel: जिंदगी में जो कुछ भी हो, मैं हार नहीं मानता... हौसला होना जरूरी है, जीत के लिए सोचेंगे तभी जीतेंगे. 2022 में मेरे जीवन में एक तूफान आया, यह इतना भयानक था कि शायद जिंदगीभर भूला नहीं सकूंगा. मैं परिवार का सिंगल चाइल्ड हूं. झटका बहुत बड़ा था. सिलसिला यूरीनेशन के समय दर्द से शुरू हुआ. सोनोग्राफी में ट्यूमर और बायोप्सी जांच में कैंसर सामने आया. तब कक्षा 11 में था, इसके बाद जो इलाज का सिलसिला शुरू हुआ तो इस वर्ष अप्रैल में खत्म हुआ. मैं पॉजिटिव था और मुझे आगे बढ़ना था. पहले कैंसर को हराया और फिर परीक्षाएं दी. ये कहना है नीट स्टूडेंट मौलिक पटेल का, जिन्होंने कैंसर जैसी भयंकर बीमारी से जूझते हुए बोर्ड और फिर नीट परीक्षा दी और अच्छे नंबर हासिल किए.

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दरअसल, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने हाल ही में देश के सबसे टफ एग्जाम में से एक NEET यूजी का रिजल्ट जारी किया है. नीट रिजल्ट में मौलिक ने 720 में से 715 अंक प्राप्त किए. वहीं महाराष्ट्र स्टेट बोर्ड में 94.67 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. मौलिक का परिवार मुम्बई में घाटकोपर निवासी है.

जब कैंसर का पता चला
मई 2022 में मौलिक के शरीर में बदलाव आने शुरू हो गए. उन्होंने आजतक की टीम को बताया कि शुरुआत में मैं कमजोरी महसूस करने लगा. यूरीनेशन के समय दर्द के अलावा बुखार भी रहने लगा. मैं इन सबको लक्षणों को सामान्य समझ रहा था. हॉस्टल में रहता था तो स्थिति के बारे में रूममेट ने परिजनों को बताया. डॉक्टरों को दिखाया. सोनोग्राफी एवं अन्य जांचों के बाद सामने आया यूरीनेशन ब्लैडर के पास एक ट्यूमर है, जोकि 10 सेंटीमीटर का था. सीटी स्कैन एवं बायोप्सी के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसे ‘सरकोमा’ है. जोकि एक तरह का कैंसर है. परिवार को झटका लगा. क्योंकि मैं सिंगल चाइल्ड हूं और इतनी कम उम्र में कोई कैसे इतनी भयंकर बीमारी से पीड़ित हो सकता है. 

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डर और दर्द में बीते दिन
मौलिक ने बताया कि जून 2022 में मेरी सर्जरी हुई थी. मुझे कैंसर का पता था लेकिन ये नहीं पता था कि इसका ऑपरेशन इतना बड़ा था. डॉक्टरों ने आशंका जताई कि यूरीनेरी ब्लैडर निकालना पड़ सकता है. सिर्फ इसी बात का डर था कि कहीं ऐसा नहीं हो जाए लेकिन, ऑपरेशन में डॉक्टरों ने ब्लैडर नहीं निकाला. इसके बाद कीमोथैरेपी की शुरुआत हुई. जिसमें रोजाना 3-4 घंटे लगते थे. साइड इफेक्ट भी थे. कब्ज रहती थी, सिर के बाल तक उड़ गए थे. अक्टूबर 2022 तक कीमोथैरेपी के तीन सेशन हो चुके थे. इसके बाद डॉक्टरों ने फिर से चैकअप किया, जिसमें चार सेंटीमीटर का ट्यूमर अब भी था. 

कैंसर की वजह से छोड़नी पड़ी थी 12वीं और नीट की परीक्षा 
डॉक्टरों ने कीमोथैरेपी की डोज बदली, जो कि दिसंबर तक चला. इस दौरान मैंने अक्टूबर और नवंबर में एलन के टेस्ट भी दिए थे. जनवरी में डॉक्टरों ने फिर जांच की तो ट्यूमर फिर से बढ़कर 16 सेंटीमीटर का हो गया था. यूरीनेशन के दौरान दर्द हो रहा था. जनवरी 2023 में डॉक्टरों ने फिर से सर्जरी प्लान की. इसी दौरान 12वीं की परीक्षा में प्रेक्टिकल देने का समय आ गया लेकिन स्थिति सही नहीं थी इसलिए मैंने 12वीं बोर्ड एवं नीट परीक्षा दोनों ही नहीं दी. 

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हॉस्पिटल के वेटिंग रूम में 3-4 घंटे करता था पढ़ाई
डॉक्टरों ने दूसरी सर्जरी के बाद फरवरी में चैकअप किया तो सामने आया कि अब भी ट्यूमर 10 सेंटीमीटर का बचा हुआ था. डॉक्टरों ने निर्णय लिया कि इतने बड़े ट्यूमर पर रेडिएशन नहीं दे सकते इसलिए कीमोथैरेपी का बोला. कुल 31 रेडिएशन जुलाई 2023 तक हो चुके थे. नवंबर 2023 के दूसरे सप्ताह में फिर टेस्ट कराया तो साइज और ज्यादा छोटा हो गया था. दिसंबर 2023 तक दवाइयां बंद हो चुकी थी. इस पूरे इलाज के दौरान मैं रोजाना ऑनलाइन पढ़ाई करता था. हॉस्पिटल में कई बार तीन से चार घंटे इंतजार करना पड़ता था लेकिन, इस दौरान भी मैं जैसे-तैसे पढ़ाई नियमित करता रहता था. हार न मानने का जज्बा ही था जिसकी वजह से मौलिक ने नीट एग्जाम में 720 में से 715 अंक हासिल किए हैं. 

ऑन्कोलॉजिस्ट बनकर कैंसर पीड़ितों की मदद करना चाहते हैं मौलिक
मौलिक ने बताया कि अप्रैल में कैंसर मुक्त घोषित कर दिया तो मैंने एलन में टेस्ट देने की अनुमति देने के लिए बात की. इस दौरान 12वीं के एग्जाम में शामिल हुआ, जितने भी मेजर टेस्ट थे, वो भी नियमित दे रहा था. मैंने ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट दिए. अब मैं केवीएम हॉस्पिटल मुंबई से एमबीबीएस करके कैंसर मरीजों के जीवन में खुशहाली लाने के लिए ऑन्कोलॉजिस्ट बनना चाहता हूं.

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