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एक किसान के पोते, आंगनवाड़ी सहायिका और वकील के बेटे कृष्णपाल सिंह राजपूत ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में 329वीं रैंक हासिल कर पूरे परिवार का नाम रोशन किया है. 23 साल की उम्र में कृष्णपाल ने यूपीएससी को एक जुनून की तरह लिया और दूसरे प्रयास में सफलता अर्जित कर ली. उनकी इस उपलब्धि से पूरा जिला गौरवान्वित है.
निवाड़ी जिले की पृथ्वीपुर तहसील के पपावनी नेगुआ गांव में जन्मे कृष्णपाल सिंह राजपूत की परिवार संग ओरछा में रहते हैं. इनकी मां ममता राजपूत पपावनी गांव में आंगनवाड़ी सहायिका हैं, जबकि पिता रामकुमार राजपूत ओरछा जिला अदालत में वकालात करते हैं. वहीं, दादाजी नाथूराम राजपूत किसान हैं.
छोटे शहरों से हुई पढ़ाई
कृष्णपाल सिंह ने 5वीं तक शिक्षा पपावनी गांव में ही हासिल की. 8वीं तक उन्होंने ओरछा में शिक्षा प्राप्त की और 10वीं निवाड़ी से की. इसके बाद 12वीं और ग्रेजुएशन इंग्लिश लिटरेचर में ग्वालियर से किया था. यूपीएससी की पूरी तैयारी कृष्णपाल सिंह ने दिल्ली से की. अगस्त 1999 में जन्मे कृष्णपाल सिंह हर वक्त पढ़ाई में मशगूल रहते थे और उनकी इस उपलब्धि से पूरे जिले में हर्ष का माहौल है.
बाइक तक चलाना नहीं जानते
खुशी के इस मौके पर पिता रामकुमार राजपूत ने बताया कि उनका बेटा मौज-मस्ती से परे हर समय अपनी पढ़ाई में ही खोया रहता था. हैरत की बात है कि कृष्णपाल को अभी तक मोटरसाइकिल भी चलानी नहीं आती.
वहीं, मां ममता राजपूत ने भी उनकी बेटे की इस सफलता पर खुशी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि अपने बच्चों को ईमानदारी और मेहनत से पढ़ाएं तो सफलता जरूर मिलती है. आंगनवाड़ी सहायिका ने ईमानदारी से बच्चे को पढ़ाया, जिसका परिणाम यह हुआ कि उसने पढ़ाई कर हमारी मेहनत और परिश्रम को सार्थक किया।
पहली असफलता को बनाया अपनी ताकत
कृष्णपाल सिंह ने दूसरी बार में इस परीक्षा में सफलता हासिल की है. उन्होंने अपनी पहली असफलता को ही दूसरी बार में अपनी ताकत बनाया. यूपीएससी कैंडिडेट ने बताया कि जब वे पहली बार में सफल नहीं हुए तो दूसरी बार में उन्होंने उन कमियों में सुधार किया और सफलता हासिल की.
कृष्णपाल का कहना है कि यूपीएससी मेंस के उत्तर लिखने के बाद उनके जो रिमार्क आते थे, वह उन्हें नकारात्मकता महसूस कराते थे. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने कभी 100 फीसदी से कम देने की नहीं सोची. उनका कहना है कि यदि किसी काम को तन-मन से करने की कोशिश करो तो निश्चित ही उसमें सफलता मिलती है.