दिल्ली विश्वविद्यालय के निवर्तमान कुलपति दिनेश सिंह के शिक्षा में सुधार के विचार का विश्वविद्यालय के शिक्षकों और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने भले स्वागत नहीं किया हो लेकिन उनका कहना है कि विदेश में उनके सुझावों का पूरा स्वागत हुआ है.
उन्होंने यह भी कहा कि देश में उच्च शिक्षा पद्धति अब पुरानी पड़ चुकी है और इस पद्धति के तहत हम अपने छात्रों को जिस तरह की शिक्षा दे रहे हैं ,उससे उनका भला नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा, तीन साल पहले मुझे एमओओसी (मेसिव ओपेन, ऑनलाइन कोर्स) पर एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिए बुलाया गया जहां मैंने कहा कि तकनीक को पहले और विचार को बाद में रखकर वे एक भूल कर रहे हैं. सिंह ने कहा, जब में वापस आया तो उसके बाद मुझे कंपनी के सीईओ से एक मेल मिला जिससे लगा कि किस तरह मेरे विचार उनके समझ में आए और किस तरह उन्होंने उनपर काम शुरू किया.
मुझे खुशी हुई कि कम से कम उन्होंने समझा कि मैं क्या कह रहा हूं. हम यहां पर उतनी सरलता से वैसा करने की नहीं सोच सकते. सिंह का कार्यकाल 28 अक्तूबर को खत्म हो रहा है.
देश में उच्च शिक्षा की पद्धति के पुराने पड़ चुकने के बारे में वह अक्सर अपने विचार सामने रखते हैं. उन्होंने कहा, हमारी शिक्षा पद्धति अब पुरानी पड़ चुकी है.हम ज्यादा से ज्यादा स्नातक, ज्यादा शिक्षक तैयार करने पर फोकस कर रहे हैं लेकिन ना तो हम नियोक्ता तैयार कर रहे हैं ना ही हम नौकरी के लिए स्नातक छात्र तैयार कर रहे.उन्होंने कहा, जब मैंने विश्वविद्यालय के कुलपति का प्रभार संभाला मुझे पता चला कि कई विभागों में असल में पाठ्यक्रम 30-40 साल से अपडेट नहीं हुआ. मसलन, तीन साल पहले इतिहास विभाग 1950 तक के सोवियत संघ का इतिहास पढ़ा रहा था.
इनपुट: भाषा