दिल्ली उच्च न्यायालय ने अन्य राज्य शिक्षा बोर्डों के स्टूडेंट्स की कुछ याचिकाओं सुनवाई पूरी कर ली है और फिलहाल फैसला सुरक्षित रखा है.
इन याचिकाओं में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में दाखिले के लिए कट-ऑफ की गणना को चुनौती दी गई थी और एकीकृत दाखिला प्रणाली की मांग की गयी थी.
बाहरी स्टूडेंट्स और कई कॉलेजों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया गया है. डीयू ने दलील दी की विभिन्न राज्य बोर्ड की मार्किंग स्कीम में बड़ी विविधता है, जहां पर याचिकाकर्ता स्टूडेंट्स ने पढ़ाई की है. कुछ को आंतरिक मूल्यांकन में 30 अंक मिले जबकि कुछ को 20 मिले.
यूनिवर्सिटी ने यह भी कहा कि स्टूडेंट्स को अपने संबंधित राज्यों सहित अन्य यूनिवर्सिटीजी में भी आवेदन करना चाहिए. साथ ही, जिन मामलों में दाखिला अस्वीकार किया गया ऐसे स्टूडेंट्स को डीयू कॉलेजों से अपना प्रमाणपत्र वापस ले लेना चाहिए.
वहीं, स्टूडेंट्स ने दलील देकर कट ऑफ के आकलन सहित दाखिले के लिए एकीकृत प्रणाली की मांग की है. उन्होंने कहा कि अन्य राज्य बोर्डों के स्टूडेंट्स के बेस्ट ऑफ फोर मार्क में हमेशा दो-तीन प्रतिशत का अंतर होता है.
इनपुट: भाषा