दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा गठित एक ज्यूडिशियल पैनल ने सुझाव दिया है कि साल 2009 में स्टूडेंट्स के घर वालों से ज्यादा फीस लेने वाले स्कूलों को ब्याज समेत अतिरिक्त फीस लौटा देनी चाहिए.
राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अनिल देव सिंह की अध्यक्षता में साल 2011 में तीन सदस्यीय पैनल गठित किया गया था. इस पैनल ने 1,172 स्कूलों में से 81 स्कूलों के वित्तीय रिकॉर्ड्स का औचक निरीक्षण किया और जस्टिस बीडी अहमद के कमेटी का अध्यक्ष बनने से पहले अपनी छठी अंतरिम रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंप दी.
कमेटी अब तक राजधानी दिल्ली के 741 स्कूलों के वित्तीय रिकॉर्ड्स की जांच कर चुकी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कई स्कूलों ने 'अन्याय पूर्ण ढंग से' फीस बढ़ा दी. इसी के साथ कमेटी ने सुझाव दिया है कि सभी स्कूलों को नौ फीसदी ब्याज के साथ फीस वापस कर देनी चाहिए.
रिपोर्ट के मुताबिक, 'कमेटी सुझाव देती है कि अन्याय पूर्ण ढंग से फीस बढ़ाने वाले 41 स्कूलों को फीस वापस कर देनी चाहिए. कमेटी ने 41 में से 7 स्कूलों के लिए कहा है कि उन्हें फीस तो वापस लौटानी ही चाहिए साथ ही एजुकेशन डायरेक्टर को इन स्क्ूलों का विशेष इंस्पेक्शन भी करना चाहिए'.
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की अगली सुनवाई 28 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है और तब तक दिल्ली सरकार को सुझावों को लागू करने के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.