भारत एजुकेशन सेक्टर में जीडीपी का कुल 3 फीसदी ही खर्च करता है. इस बार के बजट में एजुकेशन सेक्टर को काफी कुछ मिलने की उम्मीद है. शिक्षा क्षेत्र में कोठारी समिति की सिफारिशों के अनुसार और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार आवंटन बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए. राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एजुकेशन सेक्टर के लिए जीडीपी का 6 फीसदी आवंटन की सिफारिश की गई है. देखिए एजुकेशन सेक्टर की और क्या-क्या उम्मीदें हैं इस बजट से:
(1) सरकार एजुकेशन क्षेत्र को सभी तक पहुंचाने के लिए कई इनोवेटिव नीतियों का निर्माण कर सकती है. मसलन राज्य स्तर पर शिक्षा को बढ़ावा देना खासकर बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों में.
(2) लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी कई घोषणाएं संभव हैं. जैसे स्कूलों में लड़कियों की संख्या बढ़ाने के लिए उन्हें साइकिल बांटना. देश के कई राज्यों लड़कियों की शिक्षा में इस तरह के कदम उठाने का ऐलान हो सकता है.
(3) कोठारी समिति की सिफारिशों के अनुरूप प्राथमिक शिक्षा आवंटन एक प्रतिशत बढ़ाया जा सकता है. ताकि शिक्षा क्षेत्र के इस फासले को दूर किया जा सके.सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी भी करीब 60 लाख बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं. इनमें से ज्यादातर वंचित तबके के हैं.
(4) मेक इन इंडिया कैंपेन की सक्सेस के लिए अच्छे कोर्सों, अच्छी रिसर्च सुविधाएं और बेस्ट प्रोफेशनल और साइंटिस्ट के लिए भी कई घोषणाएं कर सकता है.
(5) सरकार का सबसे बड़ा लक्ष्य स्टूडेंट्स को रोजगार दिलाना है. टेक्निकल एजुकेशन में सुधारों को लेकर सरकार एक समिति का भी गठन कर सकती है.
(6) इस बजट में एजुकेशन लोन लेने की प्रकिया को स्टूडेंट्स के लिए आसान बनाया जा सकता है.