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एनजीओ क्राई ने किया खुलासा, स्लम में रहने वाले 50 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार

एनजीओ क्राई ने स्लम में रहने वाले बच्चों पर अध्ययन कर चौंकाने वाले खुलासे किए है. जिसके मुताबिक दिल्ली के स्लम में रहने वाले 50 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं.

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स्लम में रहने वाले बच्‍चे
स्लम में रहने वाले बच्‍चे

एनजीओ क्राई ने स्लम में रहने वाले बच्चों पर अध्ययन कर चौंकाने वाले खुलासे किए है. क्राई के मुताबिक दिल्ली के स्लम में रहने वाले 50 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार हैं. इस अध्‍ययन ने आंगनबाड़ी की बदहाली पर भी सवाल उठा दिए हैं.

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एनजीओ क्राई ने अरबन स्लम में रहने वाले इन्हीं मासूमों पर स्टडी कर बच्चों की सेहत के साथ हो रहे खिलवाड़ पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं. क्राई के मुताबिक दिल्ली मेंकेवल 47 फीसदी बच्चे आंगनवाड़ी केंद्रो में जाते हैं.

60 फीसदी अभिभावकों को आंगनवाड़ी के बारे में जानकारी तक नहीं है . आधे बच्चों को विटामिन ए की गोली भी नहीं दी जाती. करीब 40 फीसदी अभिभावकों की शिकायत है कि आंगनवाड़ी के कार्यकर्ता रोजाना उनके इलाकों में देखरेख के लिए भी नहीं आते हैं. इनमें 50 फीसदी बच्चे अंडरवेट हैं और 45 फीसदी बच्चों की हाइट उनकी उम्र के हिसाब से काफी कम है.

यह अध्ययन दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, बंगलुरू, कोलकाता जैसे पांच महानगरों में किया गया. 1 से 6 साल की उम्र के 1260 बच्चों के बीच हुई इस स्टडी में यह भी पाया गया कि 57 फीसदी बच्चों को सिर्फ एक बार वैक्सीन दी जाती है जबकि दिल्ली में ये आंकड़ा 31 फीसद का है.

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इतना ही नहीं सिर्फ 40.8 फीसदी अभिभावक को बताया जाता है कि उनका बच्चा कुपोषित है और उसे सही देखरेख और इलाज की जरुरत है. क्राई इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार को अपना सुझाव भेज रही हैं ताकि आंगनबाड़ी के कॉन्सेप्ट पर फिर से विचार करते हुए उसमें सुधार किया जा सके.

स्टडी के मुताबिक 45.5 फीसद अभिभावक अपने बच्चों को प्राइवेट प्री स्कूल में दाखिल करना पंसद करते हैं. जबकि सिर्फ 37 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजते हैं.

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