केंद्रपाड़ा के एक गांव की 6 साल की बच्ची ने सांप्रदायिक सौहार्द और सहिष्णुता की मिसाल कायम की है. सोवानिया शिक्षाश्रम में पहली कक्षा में पढ़ने वाली फिरदौस खातून ने इस्कॉन की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में भागवद् गीता का पाठ किया तो सब मंत्रमुग्ध होकर सुनते ही रह गए.
फिरदौस ने प्रतियोगिता में पहला पुरस्कार तो जीता ही इससे बड़ी बात रही कि सभी का दिल जीत लिया.
गीता के ये 12 उपदेश देते हैं सफल होने का संदेश
फिरदौस ने स्कूल की गुरुमां को बड़ी कक्षाओं के बच्चों को भागवद् गीता पढ़ाते सुना और कंठस्थ कर लिया. हेड मिस्ट्रेस उर्मिला कार उस वक्त हैरान रह गई थीं, जब नन्हीं फिरदौस ने उन्हें जाकर बताया कि उसने भागवद् गीता को याद कर लिया है और किसी भी अन्य छात्र से बेहतर और बिना अटके पाठ कर सकती हैं.
उर्मिला कार ने बताया कि भागवद् गीता को पढ़ाने का नियम है कि पहले पांच गद्य कक्षा 1 से कक्षा 3 को पढ़ाए जाते हैं. मैं बड़े बच्चों को पढ़ाती हूं तो फिरदौस सुनती रहती
थी. पूरा याद करने के बाद वो मेरे पास आई और बोली कि उसने सब सीख लिया है. मैंने जब उसे पाठ करने के लिए कहा तो ये बहुत ही अच्छा और दूसरे छात्रों से कहीं बेहतर लगा.
इसके बाद मैंने उसकी प्रतिभा को और निखारने के लिए काम किया.
हरियाणा: नए सत्र में 'भगवद् गीता' की पढ़ाई
उर्मिला कार ने फिरदौस को विलक्षण बच्ची बताया. इस्कॉन की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में फिरदौस के टॉप करने का जिक्र करते हुए उर्मिला कार के चेहरे की चमक देखने लायक थी.
केंद्रपाड़ा जिले के पट्टामुंडई ब्लॉक में दमारपुर गांव की रहने वाली फिरदौस ने जिस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, उसमें 6 से 14 वर्ष के 56 बच्चे शामिल थे. गीता पाठ
प्रतियोगिता में फिरदौस ने 100 में से 97 अंक हासिल किए.
भगवद् गीता राष्ट्रीय ग्रंथ है: सुषमा स्वराज
फिरदौस के पिता एस के नूरूद्दीन दुबई में प्लम्बर का काम करते हैं. यहां फिरदौस अपनी मां अरीफा बीबी और बड़े भाई एस के सलीमुद्दीन के साथ रहती हैं.
फिरदौस की मां अरीफा बीबी कहती हैं, 'मेरे दोनों बच्चे सोवानिया शिक्षाश्रम में पढ़ते हैं. वो जैसे भी आगे बढ़ना चाहती है, मैं उसका समर्थन करूंगी. मैं उसके लिए खुश हूं और गर्व करती हूं. अभी वो बहुत छोटी है, मैं उसे सब सिखाऊंगी. वो जब बड़ी हो जाएगी तो मैं उसे कुरान भी सिखाऊंगी.'
फिरदौस से जब गीता पाठ का अनुभव पूछा गया तो उसने कहा, 'मैं पहली कक्षा में पढ़ती हूं. मैं संस्कृत और उर्दू दोनों जानती हूं. मैं भागवद् गीता भी जानती हूं. मेरी गुरु मां जब सिखाती थीं तो मैं सुनती थी. वहीं से मैंने सीखा. मैं और सीखना चाहती हूं, आगे भी पाठ करना चाहती हूं.'
फिरदौस की कहानी का सार यही है कि मुहब्बत का संदेश देना हो तो मजहब या भाषा रुकावट नहीं बनती.