6 साल की उम्र में जहां आम बच्चे जूते के फीते तक नहीं बांध पाते हैं वहीं उत्तर प्रदेश के एक गांव की इस मासूम बच्ची ने करिश्मा कर दिखाया है.
राज्य के बागपत जिले के बरौत गांव की सूर्यसंज्ञिनी चौधरी ने महज 6 वर्ष की उम्र में कंजनजंघा बेस कैंप फतह कर लिया है. इस चोटी पर फतह हासिल करने वाली वह अब तक की सबसे कम उम्र की पर्वतारोही हैं.
सूर्यसंज्ञिनी ने यह रोमांचक यात्रा इस साल 27 फरवरी को अपने परिवार के सदस्यों के साथ शुरू की थी, और 7 मार्च को 16,300 फीट ऊंची इस चोटी की ऊंचाई पर तिरंगा लहरा कर इस बात को सुनिश्चित किया कि वह कंचनजंघा फतह कर चुकी हैं.
इस बेस कैंप की ओर ट्रेकिंग करने वालों को पश्चिमी सिक्किम के युक्सम गांव के ग्राम पंचायत से परमिशन लेनी पड़ती है. ग्राम पंचायत द्वारा जारी किए गए सर्टिफिकेट ने भी इस बात को स्वीकारा है कि यहां सफलतापूर्वक चढ़ाई करने वालों में सूर्यसंज्ञिनी सबसे कम उम्र की हैं. इस समय उनकी उम्र 6 वर्ष और 10 महीने की है.
सूर्यसंज्ञिनी के पिता संदीप चौधरी एक केमिकल इंजीनियर हैं और मां मनीषा दिल्ली विश्वविद्यालय से डेवलपमेंट साइकोलॉजी में डॉक्टरेट हैं. संदीप का मानना है कि वर्तमान में शिक्षा बेहद थ्योरिटिकल होती जा रही है और प्रकृति को समझने के लिए इसके नजदीक जाने की जरूरत है. पिछले 5 वर्षों में संदीप अपने परिवार के साथ ऐसी कई यात्राएं कर चुके हैं. इससे पहले वे सूर्यसंज्ञिनी को पिंडारी ग्लेश्ाियर की यात्रा पर भी ले गए थे. पिंडारी ग्लेशियर की ऊंचाई 12,500 फीट है. इस चढ़ाई के दौरान सूर्यसंज्ञिनी की उम्र महज ढाई साल थी.
संदीप बताते हैं कि सूर्यसंज्ञिनी को चुनौतियों का सामना करना पसंद हैं. जहां उसका भाई भविष्य में पर्वतारोही बनना चाहता है, वहीं छोटी से उम्र में ही सूर्यसंज्ञिनी पॉलिटिक्स जॉइन करने का इरादा रखती हैं.