कहते हैं कि अपने सपनों की पीछा करने के लिए कोई उम्र अधिक नहीं होती. भारत के पड़ोसी देश में वैसे तो न जाने कितने ही अजूबे हैं. बीते दिनों हमने सबसू खूबसूरत हैंडराइटिंग वाली 8वीं क्लास में पढ़ने वाली छात्रा का जिक्र किया था और अब हमारे सामने एक 69 वर्षीय बुजुर्ग हैं. जिस उम्र में अमूमन लोग अपने नाती-पोतों को लेकर स्कूल के लिए जाते हैं. ठीक उसी उम्र में दुर्गे कामी एक सामान्य स्कूली छात्र की तरह पढ़ाई कर रहे हैं. वे फिलवक्त 10वीं कलास के छात्र हैं.
वे हर रोज 1 घंटे 20 मिनट का सफर करके स्कूल पहुंच जाते हैं. स्कूल में उनके साथ पढ़ने वाले बच्चे उन्हें 'बाजी' कहते हैं. गौरतलब है कि नेपाल में 'दादाजी' के लिए "बाजी" शब्द का इस्तेमाल होता है. उन्हें सामाजिक अध्ययन काफी पसंद है. इसके अलावा वे बच्चों के साथ फुटबॉल और वॉलीबॉल खेलना भी इन्जॉय करते हैं. वे कहते हैं कि उम्र के इस पड़ाव पर ऐसे खेल कर वे आत्मिक तृप्ति का आनंद लेते हैं.
आर्थिक दिक्कतों और दूरी की वजह से रह गए वंचित...
वे कहते हैं कि जब वे छोटे थे तो घर की स्थिति खस्ताहाल रहती थी. खाने-पीने की चीजें जुटाने में ही सारा वक्त लग जाता था. इसके अलावा स्कूल भी घर से बहुत दूर था. हालांकि, वे हमेशा से ही शिक्षा की महत्ता को जानते थे. उनका मानना है कि वे शिक्षित होकर अपने अनुभव से समाज में योगदान करना चाहते हैं.
वे आज भी स्कूल की पढ़ाई से लौटने के बाद बड़ी तन्मयता से अपना होमवर्क पूरा करते हैं. वे आगे भी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं.