ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी में 700 विदेशी स्टूडेंट्स को न्यूक्लियर, बॉयलॉजिकल और कैमिकल वारफेयर जैसे विषयों में एडमिशन देने से मना कर दिया है.
एडमिशन न देने के पीछे कारण ब्रिटेन का डर है, उन्हें लगता है कि शिक्षा लेने के बाद विदेश लोग परमाणु, रासायनिक और जैविक हथियार बनाना सीख जाएंगे या फिर आतंकी संगठनों की मदद करने लगेंगे . इस बात का खुलासा हाल ही में एक अंग्रेजी अखबार में आई रिपोर्ट में हुआ. एडमिशन के लिए 739 स्टूडेंट्स ने आवेदन किए थे. ब्रिटिश सांसदों ने इस प्रतिबंध की आलोचना की है. यह प्रतिबंध ब्रिटिश स्टूडेंट्स पर लागू नहीं है.
बच्चों के स्कूल में सियासत को नो इंट्री
कमेटी ऑन आर्म्स एक्सपोर्ट कंट्रोल्स के चेयरमैन सर जॉन स्टैनले ने कहा है कि अगर स्टूडेंट्स को सिर्फ इस डर के आधार पर एडमिशन देने से मना किया गया है तो यह गंभीर मसला है.
विदेशी ऑफिस के मुताबिक पिछले साल इन कोर्स के लिए विदेशों से 20 हजार आवेदन आए थे. ब्रिटेन में दुनिया की सबसे आधुनिक प्रयोगशाला है, जहां नए-नए प्रयोग किए जाते हैं.