रिलायंस इंडस्ट्रीज की नींव रखने वाले धीरूभाई अंबानी की आज 85वीं जयंती है. उनका जन्म 28 दिसंबर 1933 को सौराष्ट्र के जूनागढ़ जिले में हुआ था. उनका पूरा नाम धीरजलाल हीराचंद अंबानी था.
जानें उनके जन्मदिन पर उनसे जुड़ी खास बातें...
- धीरूभाई अंबानी की सफलता की दास्तां कुछ ऐसी है कि उनकी शुरुआती सैलरी 300 रुपये थी. लेकिन अपनी मेहनत के दम पर देखते ही देखते वह करोड़ों के मालिक बन गए.
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- बिजनेस की दुनिया के बेताज बादशाह के पद चिन्हों पर चलकर ही आज मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी सफल बिजनेसमैन की कतार में खड़े हो गए हैं.
- धीरूभाई अंबानी गुजरात के छोटे से गांव चोरवाड़ के रहने वाले थे. उनके पिता स्कूल में शिक्षक थे. लेकिन घर की माली हालत ठीक नहीं थी.
- मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यही वजह थी कि धीरूभाई ने हाईस्कूल की पढ़ाई खत्म करने के बाद ही छोटे-मोटे काम शुरू कर दिए. लेकिन इससे परिवार का काम नहीं चल पाता था.
- उनकी उम्र 17 साल थी. पैसे कमाने के लिए वो साल 1949 में अपने भाई रमणिकलाल के पास यमन चले गए. जहां उन्हें एक पेट्रोल पंप पर 300 रुपये प्रति माह सैलरी की नौकरी मिल गई. कंपनी का नाम था 'ए. बेस्सी एंड कंपनी'. कंपनी ने धीरूभाई के काम को देखते हुए उन्हें फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया.
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- कुछ साल यहां नौकरी करने के बाद धीरूभाई साल 1954 में देश वापस चले आए. यमन में रहते हुए ही धीरूभाई ने बड़ा आदमी बनने का सपना देखा था. इसलिए घर लौटने के बाद 500 रुपये लेकर मुंबई के लिए रवाना हो गए.
- कुछ दिनों तक बाजार को करीब से देखने के बाद धीरूभाई को यह समझ में आ गया कि भारत में पोलिस्टर की मांग सबसे ज्यादा है और विदेशों में भारतीय मसालों की. बिजनेस का आइडिया उन्हें यहीं से आया.
- उन्होंने दिमाग लगाया और एक कंपनी रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की, जिसने भारत के मसाले विदेशों में और विदेश का पोलिस्टर भारत में बेचने की शुरुआत कर दी.
- अपने पहले बिजनेस की शुरुआत के लिए धीरूभाई ने 350 वर्ग फुट का कमरा, एक मेज, तीन कुर्सी, दो सहयोगी और एक टेलिफोन के साथ की थी.
- साल 1966 में उन्होंने VIMAL ब्रांड के साथ कपड़ों के बिजनेस में कदम रखा. कुछ ही वर्षों में धीरूभाई की ये कंपनी देश की जानी-मानी कंपनी बन गई. लेकिन बांबे डाइन तब उनसे आगे थी.
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- धीरूभाई के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वह कई बार सरकारी नियमों की अनदेखी भी कर देते थे. कामयाबी की राह में मुश्किलें तो कई आईं पर धीरूभाई रुके नहीं.
- साल 1992 में जैसे ही देश में लाइसेंस राज खत्म हुआ, रिलायंस ने तेजी से तरक्की करना शुरू कर दिया. साल 1992 में ग्लोबल मार्केट से फंड जुटाने वाली रिलायंस देश की पहली कंपनी बन गई. साल 2000 के आसपास रिलायंस पेट्रो केमिकल और टेलीकॉम सेक्टर में भी आ गई.
...इन्होंने दिलाया देश को परमाणु शक्ति का खिताब
- 2000 के दौरान ही अंबानी देश के सबसे रईस व्यक्ति बनकर भी उभरे. हालांकि 6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी की मौत हो गई. मीडिया रिपोर्टे के अनुसार जब उनकी मौत हुई तब तक रिलायंस 62 हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी थी.
- आज भले ही वह हमारे बीच नहीं है लेकिन देश ही नहीं बल्कि वह दुनिया के लिए प्रेरणा बन गए. अपने बच्चों को बिजनेस का गुर सिखाया और सेहत का महत्व भी बताया.