प्रख्यात वैज्ञानिक और भारत रत्न से सम्मानित सीएनआर राव का मानना है कि देश के करीब 90 फीसदी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थाओं के पाठ्यक्रम पुराने हैं जिस कारण ये विश्व की शीर्ष संस्थाओं में शामिल नहीं हैं.
राष्ट्रपति भवन में चल रही विजिटर्स कांफ्रेंस के दौरान राव ने कहा कि देश के 90 फीसदी विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम पुराने हैं. हम लोग निधि में वृद्धि करने तथा अवसंचरना बढ़ाने पर बात करते हैं लेकिन उच्च तकनीक से लैस कक्षाओं में जो हम पढ़ा रहे हैं उसकी सामग्री में कोई सुधार नहीं हुआ है.
उन्होंने कहा कि विश्व के 100 शीर्ष विश्वविद्यालयों में भारतीय संस्थाओं के शामिल नहीं होने के प्रमुख कारकों में यह एक है. विदेशों में बड़ी संख्या में भारतीय छात्र हैं जो हमारे देश में पढ़ना और लौटना चाहते हैं लेकिन उन्हें उस प्रकार का माहौल और शिक्षा देने वाले स्तरीय कॉलेज नहीं हैं.
वर्तमान में प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार परिषद के प्रमुख के तौर पर काम करने वाले राव ने भारतीय संस्थानों में सुधार की जरूरत की बात कही. उन्होंने साथ ही कहा कि देश में प्रतिभा की तलाश का काम बहुत ही मामूली स्तर पर किया जाता है.
उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्रतिभा की खोज हमेशा मामूली स्तर पर की जाती रही है. हम लोग अपने विद्यार्थियों को बताते हैं कि न्यूटन और फैराडे ने क्या किया लेकिन देश के भीतर उस प्रकार की प्रतिभा की खोज के लिए कोई तंत्र नहीं है.
इनपुट: भाषा