देश के लिए जीने का सपना देखा, सालों की मेहनत में जिंदगी खपाई तब जाकर ये लम्हा आया. सिविल सेवा परीक्षा में सफल इन चमकीली आंखों में बुलंद ख्वाब है कि अब देश के लिए कुछ कर गुजरना है.
खास बात यह है कि समाज के अलग-अलग वर्गों से प्रत्याशियों ने टॉप किया है. यही नहीं, टॉप 20 सफल उम्मीदवारों में 5 लड़कियों को सफलता मिली है तो टॉप 100 में 22 लड़कियां शामिल हैं. दिल्ली की टीना डाबी ने इस परीक्षा में टॉप किया है. देश में बेटियों के साथ भेदभाव के पन्नों को मिटा डालने में टीना खुद को रोल मॉडल साबित करना चाहती हैं.
नहीं सोचा था कि पहला रैंक मिलेगा
टीना डाबी ने कहा, 'इस प्रोफेशन में आने के बारे में मैंने पहले से सोच रखा था. इसी को देखते हुए मैने पॉलिटकिल साइंस की पढ़ाई भी की थी. मैं इस प्रोफेशन में आने को लेकर काफी फोकस थी. टॉप करने पर बहुत खुशी हुई कि मैं नंबर वन हूं. दरअसल एग्जाम अच्छा गया था तो मैंने सोचा था कि पास कर जाऊंगी लेकिन यह नहीं सोचा था कि पहला रैंक हासिल होगा. यह सपनों के पूरे होने जैसा है.'
टीना चाहती हैं कि देश में बेरोजगारी की समस्या दूर हो और ब्यूरोक्रेसी में बेहद काम हो. उनका मानना है कि अगर आप टॉप पॉजिशन पर होते हैं तो काफी कुछ देश के लिए कर सकते हैं.
अतहर करना चाहते हैं एजुकेशन के फील्ड में बदलाव:
कश्मीर के अनंतनाग से सिविल सेवा में दूसरी रैंक हासिल करने वाले अतहर आमिर खान को प्रेरणा देने वाले उनके दादा अनपढ़ किसान हैं. आमिर का ख्वाब है कि कश्मीर के एक तबके के दिलो-दिमाग से अलगाव दूर करने में वो जुटेंगे. अतहर आमिर खान कहते हैं कि हम लोगों के पास कुछ करने के काफी अवसर हैं. बस अपने सेल से बाहर आने की जरूरत है. हर फील्ड में बहुत कुछ किया जा सकता है चाहे वह इंजीनियरिंग हो या मेडिकल.
अतहर ने कहा कि इस देश में क्वॉलिटी एजुकेशन और स्किल डेवलपमेंट पर काफी काम करने की जरूरत है और वह इसी फील्ड में बदलाव करना चाहते हैं.
हेल्थ सिस्टम पर फोकस करना चाहूंगी:
सिविल सेवा में प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बेटी आर्तिका शुक्ला ने भी पहले ही प्रयास में लंबी छलांग लगाई. एमबीबीएस डॉक्टर आर्तिका को यकीन है कि वो लड़कियों की जिंदगी को और बेहतर बनाने में अहम योगदान देंगी.
अपनी सफलता के बारे में उन्होंने बताया कि वह डॉक्टर बन रही थीं लेकिन उन्होंने इसी दौरान यह सोचा कि सिविल सर्विस की तैयारी करें क्योंकि इसका कैनवस बहुत बड़ा है. उन्होंने कहा, 'इस फील्ड में आप महिला सशक्तिकरण से लेकर समाज के लिए काफी कुछ कर सकते हैं. अभी जो स्किल इंडिया जैसे प्रोग्राम चल रहे हैं, यह युवाओं के लिए काफी अच्छे हैं. मुझे कभी भी मेहनत करने से डर नहीं लगा'.
वह हेल्थ सिस्टम में बदलाव करना चाहती हैं और लोगों को सस्ते दामों पर दवाइयां उपलब्ध कराना चाहती हैं.
अंसार बदलना चाहते हैं गांव की सूरत:
महाराष्ट्र के जालाना जिले के शेडगांव के रहने वाले अंसार अहमद शेख ने अपने पहले ही प्रयास में सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली है. उनकी ऑल इंडिया रैंक 361 है. वो यूपीएससी की तैयारी करने के लिए ही शहर आए थे लेकिन मुस्लिम नाम की वजह से उन्हें शहर में रहने के लिए अच्छा घर नहीं मिल पा रहा था.
उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि जब मैं अपने दोस्तों के साथ पीजी खोजने के लिए निकला तो मेरे मुस्लिम होने की वजह से जगह नहीं मिली, जबकि मेरे दोस्तों इस मामले में कोई दिक्कत नहीं आई. इसलिए मैंने अगली बार पीजी खोजते हुए इस बात का ख्याल रखा और अपना नाम शुभम बताया. अब मुझे अपना असली नाम छुपाने की कोई जरूरत नहीं है.'
अंसार चाहते हैं कि वह रूरल इंडिया को बदलने के लिए काम करें. उनका मानना है कि असली भारत रूरल एरिया में रहता है. सरकारी योजनाओं को ग्राउंड लेवल तक पहुंचाने में ब्यूरोक्रेसी की बड़ी भूमिका है. वो चाहते हैं कि वो देश के वंचित तबकों के लिए काम करें.
आम आदमी भी बदल सकता है समाज:
जयति सिंह, 94 रैंक का कहना है कि उन्होंने एक साल में ही यह सब पढ़ना शुरू किया अौर यह उनका पहला प्रयास है. उनका मानना है कि एक आइएएस ऑफिसर को समाज बदलने में महत्वपूर्ण योगदान देता है. वहीं आम आदमी भी चाहे तो समाज को बदल सकता है.
आर्थिक रुप से कमजोर तबके की मदद करना है इनका ख्वाब:
झांसी की मौजूदा एसपी सिटी गरिमा सिंह का ख्वाब है कि वह आर्थिक रुप से कमजोर तबके के लिए कुछ करें. इस बार उन्हें आईएएस रैंकिंग में सफलता मिल गई है तो वह अपने इरादे पूरे करना चाहती हैं.
इनके गांव में नहीं है बिजली- सड़क की व्यवस्था:
यूपीएससी में पांचवें प्रयास में सफलता अर्जित करने वाले आदित्य आनंद बिहार के मधेपुरा ऐसे गांव के रहने वाले हैं जहां आज भी बिजली-सड़क का इंतजाम नहीं है. देश सेवा के सबसे जिम्मेदार सरकारी ओहदेदारों की इस जमात में हर वर्ग, हर तबके की हिस्सेदारी है.
पीएम के सपनों को करना चाहते हैं पूरा:
हरियाणा के सोनीपत के यशवीर खत्री को 121वीं रैंक मिली है. खालिस गांव के रहने वाले किसान के बेटे यशवीर गांवों के लिए पीएम के सपनों को साकार करने की ख्वाहिश रखते हैं.
प्रधानमंत्री ने दी बधाई
वहीं प्रधानमंत्री ने सिविल अफसरों को संबोधित करते हुए कहा कि सिविल सेवा के अफसर गांव की ओर जाएं. अब देश की सूरत संवारने की जिम्मेदारी इन्हीं हौंसलों के आसरे खड़ी है तो वहीं देश को भी इन टॉपर्स में उन चेहरों की खोज है जो आम लोगों के सपनों की खातिर खुद की जिंदगी को खपा देने में भी अव्वल नजर आएंगे.