गीता फोगाट ऐसी लड़कियों के लिए आइकन हैं जो रेसलिंग करना चाहती हैं. महिला रेसलिंग (55 किलो) में भारत को पहला स्वर्ण पदक देने वाली गीता फोगाट हरियाणा पुलिस में DSP के पद पर हैं. गीता ने इस पद के लिए कोर्ट जाकर लड़ाई की थी और छह साल बाद उनको यह पद मिला है.
वैसे गीता का यह जज्बा आज का नहीं है. वे बचपन से ही इतनी हिम्मती रही हैं. अपने पिता के सपने को पूरा करने वाली गीता फोगाट हरियाणा में जाट परिवार में जन्मीं. उनके पिता महावीर सिंह पहलवान हैं. उन्होंने गीता को पहलवान बनने की राह दिखाई और उनका मार्गदर्शन भी किया.
गीता फोगाट हरियाणा पुलिस में उपाधीक्षक बनीं
जब गीता को पता चला कि उनके पिता चाहते हैं कि वे स्वर्ण पदक जीतकर उनका नाम रोशन करें तो गीता ने अपने सपनों को छोड़ पहलवानी सीखने में पूरी जान लगा दी. तमाम परेशानियों के बावजूद वे महिला पहलवानी में आइकन बनी.
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कदमों में सफलता
पहली सफलता उन्हें 2009 में मिली, जब पंजाब में हो रहे कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में गीता ने गोल्ड मेडल जीता. फिर 2010 में उन्होंने नई दिल्ली में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीता. यह गोल्ड मेडल जीतने के साथ गीता ने इतिहास रच दिया. आखिर किसी भारतीय महिला को पहली बार यह तमगा हासिल हुआ था.
फाइनल मैच में उन्होंने आस्ट्रेलिया की एमिली बेंस्टेड को हराया. इसके बाद 2012 में कजाकिस्तान में हुए रेसलिंग FILA एशियन ओलंपिक क्वालीफिकेशन टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीता. 2013 कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में गीता ने सिल्वर मेडल जीता.