लखनऊ। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं के साथ हो रहे अन्याय के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की राज्य इकाई ने सोमवार को जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा. महानगर मंत्री रविमोहन ने कहा कि कुछ वर्षो से यूपीएससी ने हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के साथ अन्याय व भेदभावपूर्ण नीतियां लागू कर उन्हें हतोत्साहित करने का प्रयास किया है.
उन्होंने कहा कि इसे सिविल सेवा परीक्षा के अंतिम परिणामों के आने के बाद हिंदी माध्यम के उम्मीदवारों का अन्य भाषाओं के उम्मीदवारों से तुलनात्मक समीक्षा कर देखा जा सकता है.
मोहन ने कहा कि वर्ष 2005 से 2010 के बीच हिंदी उम्मीदवारों की संख्या 10 से 15 प्रतिशत के बीच रहने वाला अनुपात घटता गया और अब यह 2013 में महज 2.3 फीसदी ही बचा है. इसका परिणाम यह हुआ कि वर्ष 2013 में सफल 1122 उम्मीदवारों में से सिर्फ 26 उम्मीदवार ही हिंदी माध्यम से हैं. पिछले वर्षों में पहले 10 स्थान में अपनी धमक दिखाने वाले हिंदी माध्यम के होनहार इस वर्ष पहले सौ स्थानों में अपनी जगह नहीं बना सके हैं.
परिषद नेता ने कहा कि प्रारंभिक परीक्षा के सीसैट को हटाया जाना चाहिए और प्रश्नपत्र को मूल रूप से हिंदी में बनाया जाए.