scorecardresearch
 

महाराष्ट्र में राज्य के छात्रों को ही मिलेगी दाखिले में प्राथमिकता

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नेशनल एलिजेबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट (नीट) मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से सोमवार को इंकार कर दिया. महाराष्ट्र सरकार को अपनी डॉमिसाइल पॉलिसी लागू करने के लिए हरी झंडी मिल गई है.

Advertisement
X
court
court

Advertisement

बॉम्बे हाईकोर्ट ने नेशनल एलिजेबिलिटी एंड एंट्रेंस टेस्ट (नीट) मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से सोमवार को इंकार कर दिया. महाराष्ट्र सरकार को अपनी डॉमिसाइल पॉलिसी लागू करने के लिए हरी झंडी मिल गई है.

यानी अब महाराष्ट्र में राज्य के छात्रों को ही दाखिले में प्राथमिकता दी जाएगी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को 'राज्य के छात्रों' और 'राज्य के बाहर से छात्रों' की अलग-अलग सूचियां बनाने के लिए कहा है जिन्हें जरूरत पड़ने पर समीक्षा के लिए पेश किया जा सके.

बॉम्बे हाईकोर्ट में महराष्ट्र सरकार के डॉमिसाइल संबंधी नियमों को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं आई थीं. इनमें साथ ही गैर सरकारी सहायता प्राप्त प्राइवेट कॉलेजों के दाखिले देने के अधिकार का मुद्दा उठाया गया था. याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को नीट टेस्ट की मेरिट में जगह बनाने वाले पूरे देश के छात्रों को दाखिला देने की प्रक्रिया पूरी करने की इजाजत दी जाए.

Advertisement

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार ने नीट मेरिट लिस्ट को दरकिनार करते हुए ऐलान किया था कि प्राइवेट कॉलेजों को पहले स्थानीय छात्रों को दाखिला देना होगा. नासिक में डेंटल कॉलेज चलाने वाले महात्मा गांधी विद्या मंदिर ट्रस्ट भी मुख्य याचिकाकर्ताओं में से एक था. इस ट्रस्ट ने याचिका में कहा था कि महाराष्ट्र सरकार को कॉलेज के एनआरआई कोटा में दखल नहीं देना चाहिए. साथ ही कहा था कि सिर्फ महाराष्ट्र के छात्रों को ही दाखिला देने की बाध्यता नहीं होनी चाहिए.

बॉम्बे हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मंजुला चेलुर और जस्टिस एम एमस सोनक की बेंच को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि ये संभव है कि नीट की लिस्ट में राज्य से एक भी छात्र ना हो. हाईकोर्ट ने कॉलेजों की दाखिला प्रक्रिया पर स्थगनादेश देते हुए राज्य सरकार को दो मेरिट लिस्ट बनाने का निर्देश दिया जिनमें से एक लिस्ट ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट होगी और दूसरी महाराष्ट्र के छात्रों की मेरिट लिस्ट होगी. बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका का निर्धारण होने के बाद ही फाइनल लिस्ट जारी की सकेगी.

इस हफ्ते राज्य के एडवोकेट जनरल ने दलील दी थी कि महाराष्ट्र सरकार को इस नियम के साथ इसलिए आगे आना पड़ा क्योंकि राज्य के छात्रों को दूसरे राज्यों में इस समस्या का सामना करना पड़ रहा था और उन्हें वहां दाखिला नहीं मिल पा रहा था. महाराष्ट्र के कुछ छात्रों ने भी महाराष्ट्र सरकार के रुख का समर्थन करते हुए इंटरवेंशन अर्जी कोर्ट में दीं. ऐसे छात्रों की पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एम एम वाशी ने कहा कि डॉमिसाइल और आरक्षण में फर्क है, इसलिए राज्य की डॉमिसाइल वाले छात्रों को दाखिले में वरीयता दी जानी चाहिए.

Advertisement
Advertisement