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नहीं मिलता था किराए का मकान शुरू किया 'हाउसिंग डॉट कॉम'

अद्वितीय ने भी महानगरों में उन सारी चीजों को भुगता है जो हम-आप आए दिन भुगतते रहते हैं. हालांकि अद्वितीय ने उस दर्द से प्ररेणा लेते हुुए हाउसिंग डॉट कॉम नामक करोड़ों की कंपनी खोल डाली. पढें उनकी संघर्ष गाथा...

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Advitiya Sharma
Advitiya Sharma

कहते हैं कि वो इंसान दूसरों के दर्द को बेहतर समझ सकता है जिसने खुद दर्द को भुगता हो. हालाकि कई बार ऐसे भी लोग होते हैं जो दूसरों का दर्द देख कर ही विचलित हो जाते हैं और यथासंभव मदद में जुट जाते हैं. हलांकि हम आज आपको जिस शख्स के कामयाबी के किस्से सुनाने जा रहे हैं वह शख्स खुद भी इस दर्द का भुक्तभोगी रहा है. अद्वितीय शर्मा नामक इस शख्स ने हम-सभी की सहूलियत के लिए housing.com नामक वेबसाइट खोल डाली. यह वेबसाइट आज उनके लिए भले ही मोटी कमाई का जरिया बन गई हो लेकिन यह बहुतों के लिए वरदान साबित हुई है. पढें इस वेबसाइट के शुरू और सफल होने की गाथा...

अद्वितीय के पिता हैं डॉक्टर और वहीं से मिली प्रेरणा...
अद्वितीय कश्मीर के एक स्थापित परिवार का हिस्सा हैं और उनके दादाजी एक लेखक व रचनाकार हैं और उन्हें साहित्य अकादमी अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है. उनके पिता अनिल शर्मा जम्मू के पहले न्यूरोसर्जन हैं. उनकी मां भी एक डॉक्टर (फिजिशियन) हैं. एक बार की बात है कि उनके पिता 18 घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद किन्हीं दो मरीजों को बचा सके. उनसे थकान पर सवाल पूछने पर वे कहते हैं कि मरीज और उनके रिश्तेदारों का उनमें विश्वास उन्हें आगे काम करने के लिए प्रेरित करता है. वे भी आगे ऐसा करने की चाह रखते हैं और ऐसे प्रयास करते हैं ताकि दूसरों के चेहरे गुलजार कर सकें.

बोर्ड परीक्षाओं के बाद आईआईटी में हुए दाखिल...
जैसा कि भारत के अधिकांश शख्स सपना देखते हैं. अद्वितीय भी कल्पना चावला से प्रभावित थे और अंतरिक्ष की सैर करना चाहते थे. अंतरिक्ष तक पहुंचने के क्रम में उन्होंने आईआईटी की परीक्षा पास की और आईआईटी-मुंबई के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कोर्स में दाखिला लिया. यहां आकर उन्हें पता चला कि यहां पढ़ कर वे अंतरिक्ष यान या विमान तो जरूर बना सकेंगे लेकिन अंतरिक्ष की यात्रा मुश्किल होगी.

फुटबॉल को बनाया अपना प्रेम...

वे जैसे-जैसे स्पेस साइंस से ऊबते गए वैसे-वैसे फुटबॉल से प्यार करने लगे. लगातार कई सालों तक आईआईटी फुटबॉल टीम के कैप्टन बने रहे और मेडल जीते. धीरे-धीरे कोर्स खत्म होने लगा और उनका भी मुंबई में ही प्लेसमेंट हो गया.

घर मिलने में होने लगी दिक्कत...

आईआईटी में रहने के दौरान तो वे हॉस्टल में मजे से रह रहे थे लेकिन अब तो बाहर रहना था. उन्होंने भी जोर-शोर से घर खोजना शुरू किया. उन्हें चारों तरफ दलालों और शोषकों का गठजोड़ दिखा. पैसे खर्च करने के बावजूद अच्छे घरों का टोटा दिखा. उन्होने इसी विपरीत समय में ठाना कि क्यों न कुछ अलग किया जाए. कोई अलग सा बिजनेस मॉडल बनाया जाए.

वेबसाइट बनाने का लिया निर्णय...
अद्वितीय ने अपने दोस्तों से सलाह-मशविरा करने के बाद निर्णय लिया कि वे ऐसा कोई प्लेटफॉर्म शुरू करेंगे जहां ऐसे लोग आकर फ्लैट व कमरा देख सकें. वहां वे ऐसे मकानों और लोकेलिटी की तस्वीरें साझा करते हैं. अब लोग दर-दर भटकने के बजाय क्लिक से अपने बजट में घर पा सकते हैं.
आज अद्वितीय की गिनती देश के प्रतिभाशाली व युवा उद्यमियों में होती है. हाउसिंग डॉट कॉम अप हाउसहोल्ड नाम बन चुका है. लोग अब उन पर विश्वास करते हैं. इस विश्वसनीयता का ही परिणाम है कि उन्हें सॉफ्ट बैंक की ओर से 554 करोड़ की फंडिंग मिली. अब वे किसी मकान-फ्लैट के आस-पास के इलाके का विवरण व तस्वीरें भी वेबसाइट पर डाल रहे हैं. अब यदि आपको भी यह आइडिया और कॉन्सेप्ट रास आए तो आगे साझा करें. हो सकता है इस लेख से ही प्रेरित होकर कोई कुछ नया कर डाले.

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