कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को तीन मई तक लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा की. साथ ही उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर हेल्थ केयर सिस्टम की तैयारियों पर भी बात रखी.
प्रधानमंत्री मोदी ने टेस्टिंग को लेकर कहा कि अभी 10 हजार पेशेंट हैं और एक लाख बेड तैयार हैं. उन्होंने कहा कि पहले सिर्फ एक लैब थी अब 220 से ज्यादा टेस्टिंग लैब काम कर रही हैं. आइए जानें मोदी के भाषण पर क्या है एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया की प्रतिक्रिया.
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मंगलवार को आजतक से खास बातचीत में एम्स के डायरेक्टर ने कहा कि हमने पहले इंटरनेशनल ट्रेवलर्स और उनके क्लोज कॉन्टैक्ट की टेस्टिंग शुरू की थी. उसके बाद SARI (severe acute respiratory infection) यानी जो श्वसन तंत्र संक्रमण से जूझ रहे थे, उनकी टेस्टिंग की गई. इसके बाद कोरोना के हाटस्पॉट पर फोकस किया गया. अब जिन्हें इनफ्लुएंजा के सिंप्टोम्स हैं उनके टेस्ट कर पाएं, ये बड़ी चुनौती है. इसके लिए अब कई गवर्नमेंट और प्राइवेट कॉलेज को सेटअप किया जा रहा है, जहां लैब शुरू कर सकें.
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डॉ. गुलेरिया ने बताया कि कोरोना के किट्स भी अब बाहर से आ गए हैं. जो एंटी बॉडी टेस्टिंग किट है, वो भी भारत में आ गया है जिससे हम जान सकते हैं कि जो ठीक हो चुके हैं उनकी एंटी बॉडी बन रही है या नहीं. उन्होंने कहा कि अगले कुछ दिनों में टेस्टिंग के कई सेंटर खुल जाएंगे. साथ ही डॉ. गुलेरिया ने ये सलाह भी दी कि जिन लोगों में कोरोना के लक्षण हैं, उनकी ही जांच की जानी चाहिए. बिना लक्षण जांच करने से हमारे रिसोर्सेज यानी संसाधन ही खराब होंगे.
ये है बेड की तैयारी
भारत में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन कर दिया गया था. डॉ. गुलेरिया ने कहा कि जनवरी के अंत से भारत सरकार इसमें लगी है कि कैसे हम हेल्थ केयर फैसिलिटी को बढ़ाएं और हम तैयार हो पाएं. उन्होंने कहा कि इस दौरान कई कोविड हॉस्पिटल बने हैं.
वेंटिलेटर के साथ ऑक्सीजन भी जरूरी
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोरोना से निपटने के लिए वेंटिलेटर के साथ-साथ ऑक्सीजन की तैयारी भी की गई है. उन्होंने बताया कि सिर्फ गंभीर 5 प्रतिशत मरीजों में वेंटिलेटर की जरूरत होती है. वहीं 15 प्रतिशत मरीज ऐसे हैं जो ऑक्सीजन से ठीक हो जाएंगे. इसलिए कस्बों-शहरों में ऑक्सीजन की तैयारी की गई है. अस्पतालों में क्वारेंटाइन और आइसोलशन बेड तैयार किए गए हैं.