केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अगले साल तक कागजी डिग्रियों और प्रमाणपत्रों को इतिहास के लॉकर में बंद कर देने का फैसला किया है. इसकी वजह है डिग्रियों का डिजिटल फॉर्म में होना. जिसकी वजह से अब आपको उन्हें संभालकर रखने की परेशानी से आजादी मिल जाएगी. इसी के साथ आपको डिजिटल डिग्रियों को सुरक्षित रखने के लिए स्पेशल लॉकर मिलेंगे.
दीक्षांत समारोह में मिलेगी डिजिटल डिग्री
अब आपको डिग्रीयों को न तो याद से संभालकर रखने का झंझट, न चूहों के कुतरने या दीमक के चाटने का जोखिम उठाना होगा. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि युवा सोच और उनकी आज की जरूरतों को ध्यान में रखकर इस फैसला को लिया गया है. इस नए कदम के लिए आईटी मंत्रालय के साथ समुचित तालमेल कर तकनीकी तैयारी तेजी से चल रही है. सबसे पहले पूरे देश के विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों का डाटाबेस बनाया गया है. इसमें CBSE को भी शामिल किया जा रहा है. यहां हरेक छात्र से संबंधित तमाम जानकारी डाली जा रही है. परीक्षा पास करने के बाद उन्हें दीक्षांत समारोह में उनकी digital degree दी जाएगी.
पर्यावरण को पहुंचेगा लाभ
कागजी डिग्री का सिस्टम खत्म करना छात्र को, सरकार को, समाज को और सबसे ज्यादा पर्यावरण को लाभ पहुंचाएगा. मानव संसाधन मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक कई विश्वविद्यालयों से शिकायत आई थी कि उनके अभिलेखागारों में पुरानी डिग्रियां भरी पड़ी हैं. दशकों हो गए कोई लेने ही नहीं आया, अब कब तक संभालें. कई छात्रों को शिकायत ये की क्लर्क मेरी ही डिग्री देने के लिए कोई बहाना बना कर पैसे मांग रहे हैं. अब नए सिस्टम में ये सारी मुश्किल खत्म हो जाएगी.