scorecardresearch
 

पुण्यतिथि: जानें जयललिता का फिल्मी पर्दे से पॉलीटिक्स तक का सफर...

जयललिता फिल्मी दुनिया को अलविदा कह कर एमजीआर के साथ राजनीति में आ गईं. कहा जाता है कि अंग्रेजी में उनकी मजबूती को देखकर एमजीआर उनको राजनीति में लेकर आए थे.

Advertisement
X
जयललिता
जयललिता

Advertisement

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री स्व. जयललिता की आज प्रथम पुण्यतिथि है. पिछले साल 4 दिसंबर को जयललिता को दिल का दौरा पड़ा और अगले दिन यानी 5 दिसंबर को अपोलो अस्पताल में ही उनकी मौत हो गई थी. सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद उन्हें 22 सितंबर को अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

जयललिता के जिंदगी के सफर पर एक नजर...

- जयललिता का अभिनेत्री से मुख्यमंत्री बनने तक का सफर उतार चढ़ाव से भरा रहा. जयललिता अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजी रामचंद्रन उर्फ एमजीआर की करीबी थीॆ. उन्होंने अपने चार दशक के राजनीतिक जीवन में काफी उतार चढ़ाव देखे.

-15 वर्ष की उम्र में फिल्मी करियर शुरू करने वाली जयललिता एक सुप्रसिद्ध तमिल एक्ट्रेस बनीं. एक विद्यार्थी के तौर पर भी पढ़ाई में उनकी काफी रुचि रही.

Advertisement

रैली निकाल जयललिता को एआईडीएमके देगी श्रद्धांजलि, 4000 पुलिस बल तैनात

-जयललिता ने एमजीआर के साथ 28 फिल्मों में काम किया. एमजीआर तमिल सिनेमा के सुपरस्टार थे और भारतीय राजनीति के सम्मानित नेताओं में थे.

-जयललिता फिल्मी दुनिया को अलविदा कह कर एमजीआर के साथ राजनीति में आ गईं. कहा जाता है कि अंग्रेजी में उनकी मजबूती को देखकर एमजीआर उनको राजनीति में लेकर आए थे.

-एम करुणानिधि की पार्टी द्रमुक से टूटने के बाद एमजीआर ने अन्नाद्रमुक का गठन किया. साल 1983 में एमजीआर ने जयललिता को पार्टी का सचिव नियुक्त किया और राज्यसभा के लिए मनोनीत किया.

-इस बीच जयललिता और एमजीआर के बीच मतभेद की खबरें भी आईं लेकिन जयललिता ने 1984 में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया.

-एमजीआर की अंतिम यात्रा के दौरान एमजीआर की पत्नी और समर्थकों ने जयललिता के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार किया जिससे पार्टी में बिखराव की स्थिति उत्पन्न हो गई.

जयललिता के निधन के बाद 77 लोगों ने दी जान: AIADMK

-जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ बनाने के बाद जयललिता पहली बार साल 1991 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं.

-हालांकि साल 1996 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. लेकिन तब तक जयललिता एक मजबूत राजनीतिक हस्ती बन चुकी थीं.आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए जयललिता पर केस चला जिसमें वो दोषी भी पाई गईं. आखिरकार 27 सितंबर 2014 को बेंगलुरु की एक अदालत ने जयललिता को चार साल कैद की सजा सुनाई.

Advertisement

-जयललिता को मरीना बीच पर उनके राजनीतिक गुरु एमजीआर के पास ही दफनाया गया था. उसके पीछे तर्क दिया गया उनका द्रविड़ मूवमेंट से जुड़ा होना. द्रविड़ आंदोलन हिंदू धर्म के किसी ब्राह्मणवादी परंपरा और रस्म में यकीन नहीं रखता. जया एक द्रविड़ पार्टी की प्रमुख थीं, जिसकी नींव ब्राह्मणवाद के विरोध के लिए पड़ी थी.

-एमजीआर को भी उनकी मौत के बाद दफनाया गया था. उनकी कब्र के पास ही द्रविड़ आंदोलन के बड़े नेता और डीएमके के संस्थापक अन्नादुरै की भी कब्र है, अन्नादुरै तमिलनाडु के पहले द्रविड़ मुख्यमंत्री थे. जया के अंतिम संस्कार की सभी रस्में उनकी करीबी शशिकला ने की थीं.

-कुछ लोगों ने उनको दफनाए जाने की वजह को राजनीतिक भी बताया. उनका कहना है कि जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके उनकी राजनीतिक विरासत को सहेजना चाहती है, जिस तरह से एमजीआर की है. 

Advertisement
Advertisement