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AMU: वेबिनार में टर्की की प्रोफेसर को बुलाया, BJP ने MHRD से की शिकायत

भाजपा नेता ने इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेजे पत्र में कहा कि टर्की से हमारे रिश्ते हमेशा खराब रहे हैं. वो पाकिस्तान को सपोर्ट करता रहा है. ऐसे में 13 अगस्त को AMU द्वारा आयोजित वेबिनार में टर्की की प्रोफेसर को आमंत्रित किया गया.

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AMU में एक वेबिनार पर विवाद
AMU में एक वेबिनार पर विवाद

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 13 अगस्त को आयोजित हुए एक वेबि‍नार में टर्की की गिरेसुन विश्वविद्यालय की प्रोफेसर हिलाल शाहीन को आमंत्रित किए जाने पर बीजेपी ने ऐतराज जताया है. बीजेपी नेता ने इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को एक पत्र भी लिखा है.

पत्र में उन्होंने कहा है कि टर्की से हमारे रिश्ते हमेशा खराब रहे हैं. वह पाकिस्तान को सपोर्ट करता रहा है. ऐसे में 13 अगस्त को AMU द्वारा आयोजित वेबिनार में टर्की की प्रोफेसर को आमंत्रित किया गया. बता दें कि इस वेबिनार में यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर तारिक मंसूर भी शामिल हुए थे. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को स्पष्ट करना चाहिए कि ये वेबिनार क्यों आयोजित हुई.

बीजेपी नेता ने पत्र में एएमयू के कुलपति एवं कार्यक्रम के आयोजकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. भाजपा नेता डॉ निशित शर्मा ने मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को लिखे पत्र में कहा है कि दिनांक 13 अगस्त को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षकों द्वारा आयोजित वेबिनार का विषय 'तुर्की, भारत और महात्मा गांधी -खिलाफत आंदोलन के आलोक में' था. इसमें AMU के वाइस चांसलर तारिक मंसूर सहित कई अन्य प्रोफेसर ने भाग लिया था.

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बीजेपी नेता ने पत्र में लिखा है कि किस प्रकार टर्की ने विभिन्न विषयों पर लगातार भारत का विरोध किया और पाकिस्तान के समर्थन में रहा है. धारा 370 हटाने का भी विरोध टर्की ने अंतर्राष्ट्रीय पटल पर किया गया था जिस विषय पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अंदर वेबिनार का आयोजन हुआ. ये विषय खिलाफत आंदोलन को लेकर था और यह भी सर्व विदित है की खिलाफत आंदोलन के कारण संपूर्ण विश्व में नरसंहार की एक श्रृंखला प्रारंभ हो गई थी.

इस आंदोलन का असर भारत के मालाबार दंगों में भी देखने को मिला. जब इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा गैर मुसलमानों की हत्या की गई. खिलाफत आंदोलन ही भारत के विभाजन का एक मुख्य कारण भी था. एक पैन इस्लामिक आंदोलन पर भारत विरोधी निर्णय लेने वाले टर्की देश की प्रोफेसर को आमंत्रित कर स्वयं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा एक वेबि‍नार की अध्यक्षता किया जाना गंभीर प्रश्न उत्पन्न करता है.

पत्र में उन्होंने निवेदन किया है कि सरकार इस विषय पर विशेष संज्ञान ले. इस पर जांच समिति स्थापित कर AMU कुलपति एवं वेबि‍नार के अन्य आयोजकों को दंडित करे. यह भारत की आंतरिक सुरक्षा, शैक्षणिक संस्थान में कट्टरपंथी विचारधारा के प्रभावी होने का विषय है.

मीडिया से बात करते हुए बीजेपी नेता डॉ निशित ने कहा कि दिनांक 13 अगस्त को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा एक वेबिनार का आयोजन हुआ था. गौरतलब है इस वेबिनार की अध्यक्षता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर स्वयं कर रहे थे. इस वेबिनार में स्पीकर के नाते टर्की यूनिवर्सिटी की एक प्रोफेसर को इनवाइट किया गया था. उन्होंने अपने विचार व्यक्त किए थे. वर्तमान की स्थिति हम जानते हैं कि किस प्रकार से टर्की देश भारत का निरंतर विरोध करता आ रहा है अंतरराष्ट्रीय पटल पर, पाकिस्तान के समर्थन में खड़ा होना और भारत का विरोध करना उसका काम है.

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बीजेपी नेता ने आगे कहा कि कई मामलों पर उसने भारत का विरोध किया है. किस प्रकार से एक रेडिकल इस्लामिक मूवमेंट टर्की द्वारा पूरे विश्व में चलाया जा रहा है. खिलाफत आंदोलन को पुनर्जीवित करने का काम चल रहा है. वो वेबिनार महात्मा गांधी भारत और खिलाफत आंदोलन के संदर्भ में था. हम जानते हैं कि किस तरह से नरसंहार हुआ था. ऐसे विवादास्पद और राष्ट्र विभाजन वाले विषय को लेकर ऐसे लोगों को बुलाकर वेबिनार का आयोजन करना दुर्भाग्यपूर्ण और गंभीर विषय है.

उन्होंने कहा, "हमने इस पर मसले में मानव संसाधन विकास मंत्री को एक पत्र लिखा है. AMU जैसे एक संस्था में इस तरह की गतिविधियां होना भी रेडिकलाइजेशन को बढ़ावा देने वाला विषय है. कहीं ना कहीं ऐसा लगता है कि खिलाफत 2.0 की तैयारी चल रही है. देश के एक अभिनेता है आमिर खान, वो टर्की जाकर वहां की जो राष्ट्रपति है उनकी पत्नी के साथ फोटो खिंचवाते हैं."

आमिर पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा, "कहीं ना कहीं जाकिर नायक और आमिर खान की भूमिका अलग नहीं है. जाकिर नायक का ही एक हल्का रूप आमिर खान को मान लीजिए क्योंकि जहां भारत किसी प्रकार की राजनीतिक संबंध नहीं रखना चाह रहा, वहां पर ऐसे लोग आमिर खान जैसे अभिनेता जाकर क्या दिखाना चाहते हैं. वही गतिविधियां अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शिक्षक भी कर रहे हैं. इनकी पूर्ण रूप से जांच करना बहुत जरूरी है."

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इस विषय में AMU प्रशासन ने फिलहाल कोई बयान नहीं दिया है. कहा जा रहा है कि इस मामले में जल्द ही यूनिवर्सिटी कोई बयान जारी करेगा.

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