गुजरात के नवसारी जिले में एक ऐसा गांव है जहां घर-घर में टीचर रहते हैं. कोई गांव में टीचर है तो कोई शहर में. यही वजह है कि टीचरों वाले इस गांव में शिक्षा का स्तर काफी ऊपर है. जानिए आखिर क्यों इस गांव के लोग टीचर बनना चाहते हैं...
नवसारी जिले के कुकेरी गांव में 1952 से बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला चल रहा है. इस गांव के 90 फीसदी लोग शिक्षक हैं. कई परिवार तो गांव में पीढियों से बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं 85 साल के भीखूभाई परमार जिनके तीनों बेटे भी शिक्षक हैं. दिलचस्प बात तो ये है कि भीखूभाई के परिवार के 25 लोग शिक्षक बन कर बच्चों को शिक्षा का ज्ञान बांट रहे हैं.
ये इन शिक्षकों का ही कमाल है कि यहां पर अनपढ़ आपको ढूढ़ने पर नहीं मिलेंगे. ये शिक्षक बच्चों में अपने लक्ष्य तक पहुंचने का हौसला भर रहे हैं. शिक्षकों के लिए मशहूर इस गांव ने पूरे नवसारी जिले में अपनी अलग पहचान बनाई है.
यही नहीं कुकेरी से महज 15 किलोमीटर पर बसे मिनकच्छ गांव के इन स्कूलों में पढ़ाई का स्तर भी पिछले कुछ सालों में काफी सुधरा है. आज इन बच्चों को एडवांस टेक्नोलॉजी के जरिए लैपटॉप पर पढ़ाई करवायी जाती है. ताकि गांव के बच्चे शहरों में पढ़ने वाले बच्चों से किसी भी मायने में कम ना रहे. गुजरात के इस गांव की कहानी सभी के लिए प्रेरणादायक है. अगर इसी तरह से देश का हर गांव शिक्षा पर ध्यान दे तो देश के हर गांव की तस्वीर बदल जाए.