भारतीय जल सेना में सेलर्स और वायु सेना में एयर-मेन्स के पद पर काम करने वालों में पढ़ाई के लिए काफी ललक है. केंद्रीय विश्वविद्यालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ओपन लर्निंग यानी CDOL में आये करीब 5500 फॉर्म्स इसकी तस्दीक करते हैं. ये सभी फॉर्म्स भारतीय वायु सेना और जल सेना में ऑफिसर पदों से नीचे के कर्मचारियों के हैं जो जामिया से स्नातक या स्नातकोत्तर की डिग्री लेना चाहते हैं. जामिया प्रशासन को भी इस बात की उम्मीद नहीं थी कि दोनों सेनाओं से लोग इतना बढ़-चढ़ कर यहां एडमिशन के लिए अप्लाई करेंगे.
विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व ओएसडी मुजतबा खान को कुछ सौ फॉर्म्स आने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक तकरीबन 5500 फॉर्म्स आ चुके हैं. अभी अंतिम तारीख दूर हैं जिसे और भी आगे बढ़ाए जाने की संभावना है.
गौरतलब है कि हाल ही में जामिया और जल और वायु सेना के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ था. इसके तहत दोनों सेनाओं मे ऑफिसर्स के पद से नीचे काम करने वाले कर्मचारियों को पढ़ने का मौका देने के लिए एक व्यवस्था डिस्टेंस लर्निंग के तहत दी गयी. नेवी में सेलर्स और एयरफोर्स में एयरमैन को इस व्यवस्था का फायदा मिलेगा. तीन साल की स्नातक की डिग्री 1 साल में और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री भी 1 साल में दी जाएगी.
ओएसडी कहते हैं कि सेना में ऐसे लोग कम उम्र में ही आ जाते हैं और इनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती. ऐसे में जब ये नौकरी छोड़ कर मार्केट में आते हैं तो दिक्कत होती है. इसीलिए उन्होंने यह प्रोग्राम शुरू किया.
इसके अलावा जामिया और दोनों सेनाओ की एक साझा समिति भी बनायी गयी है जो इन सिपाहियों की ट्रेनिंग और प्रैक्टिकल वगैरह देखेगी और अंक देगी. दोनों सेना के आला अधिकारी इस व्यवस्था से बेहद खुश हैं और मानते हैं कि यह एक ऐतिहासिक कदम है. जाहिर है अच्छी सोच के अच्छे नतीजे भी आने शुरू हो गए हैं.