दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया शुक्रवार की शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मिले और राष्ट्रीय राजधानी में शिक्षा के स्तर में सुधार की दिशा में दिल्ली सरकार की पहल पर चर्चा की. एक अधिकारी ने बताया, 'राष्ट्रपति को शिक्षा के प्रति आप सरकार के दृष्टिकोण की विस्तृत जानकारी दी गई. केजरीवाल और सिसौदिया ने राष्ट्रपति के साथ शिक्षा संबंधी दस्तावेज साझा किए, जिसमें शिक्षा के स्तर में सुधार के आप सरकार के 12 सूत्री कार्यसूची अंकित थी.'
दिल्ली सरकार की शिक्षा-दृष्टि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और कक्षाओं में शिक्षक-छात्र अनुपात तथा स्कूलों में शौचालय, पेयजल व प्रयोगशालाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया है. अधिकारी ने कहा, 'राष्ट्रपति को बताया गया कि दिल्ली सरकार की योजना सिंगापुर सरकार के सहयोग से एक विश्वस्तरीय कौशल विकास केंद्र खोलने की है. साथ ही दिल्ली कौशल विकास विश्वविद्यालय भी खोला जाएगा.'
सिसौदिया दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी हैं. उन्होंने मुखर्जी से कहा कि सरकार ने शिक्षकों और प्राचार्यो की राय लेकर बच्चों के भारी-भरकम बस्ते के बोझ को कम करने का आह्वान किया है. सरकार चाहती है कि बच्चे पाठ्यक्रम के अलावा भी अन्य गतिविधियों में भाग लेने में सक्षम बनें. दिल्ली के 200 स्कूलों में कौशल विकास कार्यक्रम के तहत अतिथि सत्कार एवं सूचना प्रौद्योगिकी के गुर सिखाया जाना शुरू कर दिया गया है.
राष्ट्रपति को यह जानाकारी भी दी गई कि आप सरकार ने 12वीं कक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए छात्र-छात्राओं को 10 लाख रुपये तक का ऋण बिना किसी गारंटी के देने की योजना भी शुरू की है. गारंटी का जिम्मा सरकार लेगी.
इससे पहले, दिन में सिसौदिया ने पाठ्यक्रम में संशोधन के मुद्दे पर निजी स्कूलों के शिक्षकों के साथ बैठक की. अधिकारी के मुताबिक, सिसौदिया ने कहा कि शिक्षा पर विचार के लिए आमतौर पर विशेषज्ञ समितियों में वामपंथियों, दक्षिणपंथियों और मध्यमार्गियों को शामिल किया जाता है, जो एक साथ बैठ नहीं सकते, काम नहीं कर सकते. शिक्षा पर विचार करने में शिक्षक ही सबसे उपयुक्त हैं.
इनपुट: IANS