कौन हैं भारत के असली राष्ट्रपिता महात्मा गांधी या ज्योतिबा फूले? यह मुद्दा अभी देश की एक यूनिवर्सिटी में विवाद का विषय बना हुआ है. दरअसल बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी, लखनऊ में भारत के असली राष्ट्रपिता के मुद्दे पर डिबेट चल रहा है, इस डिबेट ने पूरे देश की उत्सुकता बढ़ा दी है.
एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी में कौन हैं 'भारत के असली राष्ट्रपिता? ज्योतिबा फूले या मोहनदास करमचंद गांधी?' का मुद्दा गरमाया हुआ है.
इस मामले को कैंपस में रह रहे दलित स्टूडेंट्स उठा रहे हैं. दरअसल दलित स्टूडेंट्स ने समाज सुधारक ज्योतिबा फूले की तस्वीर हॉस्टल में लगाई है. उस तस्वीर के नीचे ज्योतिबा फूले को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया गया है.
इसके बाद जनरल और ओबीसी कैटेगरी के स्टूडेंट्स ने इसके विरोध में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. इन स्टूडेंट्स का कहना है कि महात्मा गांधी के अलावा किसी और को राष्ट्रपिता नहीं कहा जा सकता है.
अंबेडकर यूनिवर्सिटी दलित स्टूडेंट्स यूनियन (AUDSU) कोर कमेटी के एक सदस्य का कहना है, 'भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में इस बात की छूट होने चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा से किसी को राष्ट्रपिता बुलाए. समाज का कोई खास वर्ग अपने विचार दूसरों पर नहीं थोप सकता है.'
इसके अलवा कमेटी के स्टूडेंट का यह भी कहना है कि उन्होंने इस गृह मंत्रालय में यह आरटीआई डाला था, जिसमें उन्होंने पूछा था कि राष्ट्रपिता कौन हैं? इस सवाल के जवाब में मंत्रालय ने कहा है कि भारत के संविधान के मुताबिक कोई भी सरकार किसी भी व्यक्ति को राष्ट्रपिता का टाइटल नहीं दे सकती है. वहीं यूनिवर्सिटी ने इस मुद्दे की जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है.