scorecardresearch
 

...वो अपने ही अखबार में लिखते थे ऐसा लेख, जाना पड़ा कई बार जेल

स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा का नारा लगाकर इन्होंने ही जगाई थी लोगों के दिलों में आजादी की आग. जानें कौन है वो शख्स...

Advertisement
X
Bal Gangadhar Tilak
Bal Gangadhar Tilak

Advertisement

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले नेता और स्वराज का नारा बुलंद कर कई पीढ़‍ियों को प्रेरित करने वाले बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय राष्ट्रवादी, शिक्षक, समाज सुधारक, वकील और एक स्वतन्त्रता सेनानी थे. ये वहीं हैं, जिन्होंने स्वराज को जन्मसिद्ध अधिकार बताकर उसके लिए जिंदगीभर संघर्ष किया. वह हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता के नाम से जाने जाते हैं.

जानते हैं उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें

1. तिलक का जन्म 23 जुलाई 1856 को ब्रिटिश भारत में महाराष्ट्र स्थित रत्नागिरी जिले के एक गांव चिखली में हुआ था. ये आधुनिक कॉलेज शिक्षा पाने वाली पहली भारतीय पीढ़ी में थे.

वह शख्स जिसने भारत को दो प्रधानमंत्री दिए...

2. तिलक ने कुछ समय तक स्कूल और कॉलेज में गणित की शिक्षा दी. अंग्रेजी शिक्षा के ये घोर आलोचक थे और मानते थे कि यह भारतीय सभ्यता के प्रति ये भाषा अनादर सिखाती है.

Advertisement

3. तिलक ने मराठी में 'मराठा दर्पण' और केसरी नाम से दो दैनिक अखबार शुरू किए, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया. तिलक अखबार में अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की खूब आलोचना करते थे.

4. अखबार केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भेजा गया.

5. बाल गंगाधर तिलक एक भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता के कार्यकर्ता थे. आधुनिक भारत के प्रधान आर्किटेक्ट में से एक थे. उनके अनुयायियों ने उन्हें 'लोकमान्य' की उपाधि दी जिसका अर्थ है जो लोगों द्वारा प्रतिष्ठित है.

6. तिलक एक प्रतिभाशाली राजनेता के रूप में उभरे जिनका मानना था कि एक राष्ट्र की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता स्वतंत्रता है.

दक्ष‍िणी ध्रुव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला शख्स कौन था, जानिये

7. भारत के लोगों की हालात में सुधार करने और उन्होंने पत्रिकाओं का प्रकाशन किया. वह चाहते थे कि लोग जागरुक हो. देशवासियों को शिक्षित करने के लिये शिक्षा केन्द्रों की स्थापना की.

8. उन्होंने की सबसे पहले गणेश महोत्सव की शुरुआत की. जब स्वामी विवेकानंद उनके यहां ठहरे थे.

9. उन्होंने ही डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी की नींव रखी, जिसने बाद में पुणे में फंगूर्सन कॉलेज शुरू किया.

10. 'स्वाराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और में इसे लेकर ही रहूंगा' का नारा देकर लाखों लोगों को प्ररित किया.

Advertisement

11. उन्हें 6 साल के लिए बर्मा के मंडले जेल में भेज दिया गया और साथ ही 1,000 रुपये का जुर्माना लगा दिया गया.

12. जेल में रहने के दौरान उन्होंने भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन को लेकर उनके विचारों ने आकार लिया. उन्होंने 400 पन्नों की किताब 'गीता रहस्य' लिख डाली.

13. तिलक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से 1890 में जुड़े. लेकिन जल्द ही वे कांग्रेस के नरमपंथी रवैये के विरुद्ध बोलने लगे.

14. साल 1908 में तिलक ने क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया जिसकी वजह से उन्हें बर्मा (अब म्यांमार) स्थित मांडले की जेल भेज दिया गया. जेल से छूटकर वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गये थे.

 कॉस्‍ट्यूम‍ डिजाइन में इनका कोई तोड़ नहीं, दिलाया देश को पहला OSCAR

15. तिलक डबल ग्रेजुएट थे, यदि चाहते तो आसानी से कोई भी सरकारी नौकरी कर सकते थे लेकिन उन्होंने अपनी पहली प्राथमिकता देश सेवा को दी.

16. 1 अगस्त 1920 में मुबंई में उनकी मृत्यु हो गयी. उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए गान्धी जी ने 'आधुनिक भारत का निर्माता' कहा और जवाहरलाल नेहरू ने 'भारतीय क्रान्ति का जनक' बतलाया.

 

 

Live TV

Advertisement
Advertisement