बिहार के भोजपुर की रहने वाली छोटी कुमारी सिंह ने 17 साल की उम्र से ही अपने गांव रतनपुर में समाज के दबे-पिछड़े लोगों के बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया. जिस वजह से वह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित की गई.
पिछड़े समाज के बच्चों को पढ़ाने के लिए बिहार की रहने वाली छोटी कुमारी सिंह को स्विट्जरलैंड के वर्ल्ड समिट फाउंडेशन ने अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया है. 20 साल की छोटी बिहार के भोजपुर जिले की रहने वाली है. ये पुरस्कार पाने वाली वह सबसे कम उम्र की लड़की है.
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उन्होंने कम उम्र से ही अपने गांव रतनपुर में समाज के दबे-पिछड़े समाज के बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया था. छोटी ने ऐसे समाज को पढ़ाने की शुरुआत की, जिसे समाज आज भी अछूत मानता है. वह 'मुसहर समाज के बच्चों को शिक्षित करती हैं. इस समाज के लोगों को सदियों से अछूत माना जाता रहा है.
... इस वजह से शुरू किया पढ़ाना
समाज की समस्याओं को देखते हुए छोटी ने साल 2014 से मुसहर समाज के बच्चों के ट्यूशन देना शुरू किया. आज वो मुसहर समाज के बच्चों को शिक्षित करती हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार छोटी बच्चों को अपने घर में बुलाकर पढ़ाती है. वह ये बात बखूबी जानती है कि इस समाज के बच्चों के लिए शिक्षा बेहद जरूरी है. वह पढ़ाने के साथ- साथ उन्हें साफ सफाई का भी ज्ञान देती है.
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समाज के बच्चों को पढ़ाने के लिए उन्हें इंटरनेशनल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. जिस फाउंडेशन ने उन्हें सम्मानित किया है वह अब तक 100 देशों की 432 महिलाओं को सम्मानित कर चुका है. ये फाउंडेशन समाज में गरीबी खत्म करने, महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और पर्यावरण के लिए काम करने वाली महिलाओं को सम्मानित करता है.