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सांकेतिक भाषा पर जल्‍द बनेंगे शोध संस्‍थान

केंद्र सरकार ने आज सांकेतिक भाषा पर राष्ट्र स्तरीय शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना को मंजूरी प्रदान कर दी.

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50 लाख से अधिक मूक-बधिर लोगों की शिक्षा, कार्यस्थलों और अन्य गतिविधियों तक पहुंच को आसान करने के मकसद से केंद्र सरकार ने आज सांकेतिक भाषा पर राष्ट्र स्तरीय शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना को मंजूरी प्रदान कर दी.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय सांकेतिक भाषा शोध और प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसीकी) स्थापना के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखायी गयी. आईएसएलआरटीसी की स्थापना सोसायटी अधिनियम 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में की जाएगी और यह सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्रालय के निशक्त जनों के सशक्तिकरण संबंधी विभाग के तहत काम करेगा.

शुरुआत में इसकी स्थापना शारीरिक रूप से विकलांग संस्थान , नई दिल्ली में की जाएगी. एक सरकारी बयान के अनुसार, इस फैसले से देश के मूक बधिर समुदाय के 50 लाख लोगों को मदद मिलेगी. इससे शिक्षा, कार्यस्थलों और सार्वजनिक जीवन की सभी गतिविधियों में मूक बधिर लोगों की पहुंच को विस्तार मिलेगा.

कैबिनेट बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मूक बधिर समुदाय को उचित प्रशिक्षण सुनिश्चित करने के लिए संस्थान की स्थापना करने का फैसला किया गया. सरकार ने कहा कि एक साझा भारतीय सांकेतिक भाषा की मूक बधिर समुदाय की जरूरत की लंबे समय से अनदेखी हो रही थी.

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उन्होंने बताया कि यह केंद्र भारतीय सांकेतिक भाषा को शैक्षणिक रूप से विकसित करने , प्रशिक्षण और इसे आगे बढ़ाने की योजना का नेतृत्व करेगा तथा केंद्र नयी तकनीक पर ध्यान केंद्रित करेगा. इस केंद्र में एक अध्यक्ष तथा महापरिषद में 12 सदस्य होंगे.

इनपुट: भाषा

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