वर्ल्ड कप का जुनून इन दिनों लोगों के सिर-चढ़कर बोल रहा है. बच्चा हो या बूढ़ा सभी क्रिकेट के मुरीद है. आज क्रिकेट में केवल रोमांच ही नहीं, बल्कि पैसा और शोहरत भी है. ऐसे में क्रिकेट और इससे जुड़े फील्ड में करियर के बेहतरीन अवसरों की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं.
क्रिकेटर:
क्रिकेटर बनने का रास्ता ज्यादा लंबा नहीं है, लेकिन मुश्किल है. इसमें मेहनत है, लगन है, जुनून की हद तक खेल में खो जाने की जरूरत है. इसकी शुरुआत होती है एकेडमी जाने से. एकेडमी के बाद आगे जाने के लिए कई रास्ते हैं. डीडीसीए और फिर बीसीसीआई के घरेलू क्रिकेट टूर्नामेंट्स खेलना, सेलेक्शन ट्रायल में हिस्सा लेना.
क्रिकेट कोचिंग/कोच:
एक मज़बूत क्रिकेटर बनने के लिए भी एक क्रिकेट के एक बढ़िया मास्टर की जरूरत होती है. इसे कोच कहा जाता है. एक कुशल कोच बनने के लिए नेशनल, इंटरनेशनल या फिर क्लब लेवल पर क्रिकेट खेलने का अनुभव होना जरूरी है. अच्छे कोच को किसी टीचर की तरह ही अपने काम में परफेक्ट होना चाहिए.
क्रिकेट कमेंटेटर:
अगर आपके पास क्रिकेट की अच्छी जानकारी है और साथ ही किसी घटना को रोचक ढंग से बखान करने की क्षमता भी तो क्रिकेट कमेंटेटर का काम सबसे सटीक है . इसके लिए आपको क्रिकेट के बारे रोचक तरह से बताना, जिससे लोग सुन सकें और समझ भी सकें. आपने कई बार हर्षा भोगले को टीवी एड में यह बोलते सुना होगा कि आप अगर कमेंटेटर बनना चाहते हैं तो अपनी वॉयस रिकॉर्ड कर भेजें. लेकिन इससे पहले आपके पास क्रिकेट की बारीकियों के साथ ही बोलने की कला में निपुण होने की जरूरत है.
प्लेयर्स इंडॉर्समेंट मैनेजमेंट:
खेल में करियर का यह बेहद नया क्षेत्र है. इसके तहत खिलाड़ियों, उनके इंडॉर्समेंट्स का प्रबंधन करना होता है.
क्रिकेट अंपायर:
क्रिकेट के मैदान पर फील्ड अंपायर और बाहर थर्ड और फोर्थ अंपायर की मौजूदगी होती है जो क्रिकेट मैच को उसके नियमों के अनुसार संचालित करते हैं. ये भी क्रिकेट खेलने से इतर पैसे के लिहाज से एक बेहतरीन करियर ऑप्शन है. जो लोग क्रिकेट अंपायर बनने की इच्छा रखते हैं, उन्हें इसके लिए क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित लिखित एग्जाम पास करना होता है. इसके बाद ओरल व प्रैक्टिकल एग्जाम होता है. इन तीनों चरणों को पार करने के बाद एसोसिएशन स्कूल और कॉलेज स्तर के मैचों में अंपायरिंग का मौका देने से शुरुआत करती है.
साइकोलॉजिस्ट:
खिलाड़ियों समेत पूरी टीम पर हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव होता है. मानसिक प्रशिक्षण खिलाड़ियों को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के अलग-अलग कॉम्पिटिशन में अपना बेस्ट प्रदर्शन करने में मददगार साबित होता है. मेंटल ट्रेनर खिलाड़ियों में आत्मविश्वास बढ़ाने, लक्ष्य निर्धारित करने, एकाग्रचित होकर खेल की योजना बनाने में अहम भूमिका निभाता है.
क्रिकेट जर्नलिस्ट/फोटो जर्नलिस्ट:
इन सबके अलावा अगर आपको क्रिकेट का अच्छा नॉलेज है या आप फोटोग्राफी के शॉकीन हैं और क्रिकेट फोटोग्राफर बनने की चाहत रखते हैं तो आप जर्नलिज्म में भी करियर बना सकते हैं. इस पेशे को अपनाने के लिए जर्नलिज्म की डिग्री आपके लिए मददगार हो सकती है.
लड़कियों के लिए क्रिकेट में मौके:
देश की महिला क्रिकेट टीम को ज्यादा मीडिया कवरेज भले न मिलती हो लेकिन समय के साथ इंडिया की महिला टीम खामोशी के साथ लगातार अच्छा परफॉर्म करने की कोशिश में लगी है. बीसीसीआई ने भी महिला क्रिकेट की स्थिति सुधार के लिए काफी कोशिश की है. रास्ता करीब-करीब वही है, जिससे होकर लड़कों को गुजरना होता है, यानी जूनियर और सीनियर लेवल पर स्टेट के टूर्नामेंट्स खेलें, परफॉर्म करें और सेलेक्टर्स की नजरों में आएं. अंजुम चोपड़ा, मिताली राज, डायना एडुलजी, हेमा शर्मा, रुमाली धर और झूलन गोस्वामी कुछ बड़े नाम हैं.
इसके अलावा एक खास बात, आप क्रिकेट के क्षेत्र में कुछ भी करना चाहते हैं तो पहले इसकी जानकारी जरूर रखें, यानी खूब पढ़ें.