एक साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर का काम सुनने और बोलने में अक्षम लोगों की भावनाओं, आइडियाज और शब्दों को समझकर इशारों में उनसे बातचीत करना होता है. इंटरप्रेटर होठों से भी बिना बोले उनसे बात कर सकता है. इस कला को सीखने के लिए ही साइन लैंग्वेज का कोर्स किया जाता है. फिल्म 'बर्फी' ने सुनने और बोलने में अक्षम लोगों की सोच को समाज के सामने रखा है. इसी सोच को आगे बढ़ाने का नाम है साइन लैंग्वेज. एक साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर बनकर आप इन लोगों को जिंदगी में उम्मीद की एक नई किरण ला सकते हैं.
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कहां से करें कोर्स
Ramakrishna Mission Vivekananda University
Indian Sign Language Research and Training Centre (ISLRTC)
Rehabilitation Council of India
हॉस्पिटल मैनेजमेंट में बनाएं अपना करियर
कहां मिल सकती है नौकरी
सांकेतिक भाषा सीखने के बाद एजुकेशन, सरकारी क्षेत्र, दूरदर्शन में समाचार बोलेने वाला, परफॉर्मिंग आर्ट, मेंटल हेल्थ, मेडिकल फील्ड में नौकरी मिल सकती है. यहीं नहीं आप खुद का स्कूल भी खोल सकते हैं.