सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन यानी CBSE के चेयरमैन आर के चतुर्वेदी ने कहा है कि ग्रेस मार्क्स अभी खत्म नहीं किए गए हैं. फिलहाल ये नियम लागू है.
उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान ये बाते कहीं. बतौर चतुर्वेदी, 'मैं खुद भी स्पाइकिंग के खिलाफ हूं. इसलिए इसे खत्म करने के उपाय तलाशे जाएंगे. जल्दी ही हमारी मीटिंग होगी.'
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गौरतलब है कि IBWG की पहली मीटिंग 18 जून को रखी गई है. सूत्रों का कहना है कि IBWG अगले चार माह के भीतर अपनी रिपोर्ट देगा.
बता दें कि IBWG का अर्थ है, इंटर बोर्ड वर्किंग ग्रुप. इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 8 राज्यों के शिक्षा बोर्ड को मिलाकर बनाया है. ये कई तरह के काम करेगा, जिनमें ग्रेस मार्क्स पॉलिसी को खत्म करने या चलने देने पर भी ये अपनी राय देगा. ग्रेस मार्क्स को खत्म करने की बात मार्क्स मॉडरेशन पॉलिसी के कारण उठी थी.
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क्या है मॉडरेशन पॉलिसी
दरअसल ये एक ऐसा प्रोविजन है, जिसमें उन छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए जाते हैं, जो थोड़े नंबर्स से फेल होने वाले होते हैं. इसके अलावा इस पॉलिसी के तहत छात्रों को प्रश्न पत्र में दिए गए अत्यधिक कठिन प्रश्नों या गलत प्रश्नों के लिए भी ग्रेस मार्क्स देने का प्रावधान है.
क्या है समस्या
इस पॉलिसी के तहत हर बार सीबीएसई के पास प्रश्न पत्रों में अत्यधिक कठिन प्रश्नों के बाबत ढेरों शिकायतें मिल रही थीं. जिनके निपटान के लिए सीबीएसई ने एक एक्सपर्ट पैनल बनाया है, जो मामले की जांच कर इस तरह के प्रश्नों के लिए हर छात्र को ग्रेस मार्क देने का फैसला करता है.
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क्या कहते हैं एक्सपर्ट
एक्सपर्ट्स की राय है कि इस पॉलिसी के कारण ही साल 2008 से लेकर 2014 तक के बीच ऐसे छात्रों की संख्या में इजाफा हुआ जिनके मार्क्स 95 प्रतिशत से अधिक रहे हैं.