देश के तमाम स्कूलों में जारी अनियमितता के मद्देनजर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने रूल व रेगुलेशन में कड़े बदलाव की बात कही है. देश के स्कूलों में पारदर्शिता के लिए सीबीएसई ने उनसे फी स्ट्रक्चर और वहां दी जाने वाली सुविधाओं को उजागर करने की बात कही है.
स्कूल मैनेजमेंट इसे सीबीएसई की ओर से अनावश्यक दखलंदाजी बता रहे हैं. वे इसे स्कूल की ऑटोनॉमी में भी दखल बता रहे हैं. स्कूल की वेबसाइट पर सारी इन्फॉर्मेशन साझा करना उन्हें नागवार लग रहा है.
सीबीएसई ने जारी किया ज्ञापन...
सीबीएसई ने बीते 25 अक्टूबर को इसके बाबत एक ज्ञापन जारी किया. इसमें वे जनरल, मैनेजमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफ समेट 6 श्रेणियों में जानकारियां साझा करने की बात कहता है. इसमें वह वाईफाई स्पीड , एडमिशन के रिजल्ट, रीजर्व फंड और बैलेंस शीट के भी जारी करने की बात कहते हैं. इसके लिए उन्होंने 30 नवंबर की अंतिम डेट निर्धारित की है.
बोर्ड के चेयरमैन राजेश चतुर्वेदी कहते हैं कि इसके बाबत बोर्ड ने जून में ही सर्कुलर जारी किया था. हालांकि इसमें पाया गया कि अधिकांश स्कूल के अपने वेबसाइट्स ही नहीं हैं. बोर्ड ने अब धमकी दी है कि इन शर्तों को पूरा न करने वाले स्कूल बोर्ड परीक्षाएं नहीं दे सकेंगे. सितंबर माह में बोर्ड ने इसके लिए 31 अक्टूबर की अंतिम तिथि निर्धारित की थी.
इन्फ्रास्ट्रक्चर पर विशेष जोर...
इन सारी श्रेणियों में बोर्ड ने स्कूलों के इन्फ्रास्ट्रक्चर पर विशेष जोर दिया है. वे स्कूल कितनी जगह और कौन सी जगह पर स्थित है के खुलासे की बात कहते हैं. इसके अलावा वे कितनी इमारतों में चल रहे हैं. स्कूल में स्टूडेंट्स को दी जाने वाली सुविधाओं का भी खुलासा करना है.
सुरक्षा का भी रखना होगा खयाल...
स्कूलों को सुरक्षा मानकों का भी पूरा खयाल रखना होगा. फायर एक्सटिंगविशर, स्प्रिंक्लर और फायर अलार्म लगवाने होंगे. इसके अलावा पीने के पानी और सैनिटेशन का भी खयाल रखना होगा. इस पूरे आइडिया का उद्देश्य है कि माता-पिता व अभिभावकों को पता चले कि उनके द्वारा दिया गया पैसा जा कहां रहा है.