सीबीएसई की संचालन समिति ने 2018 से 10वीं कक्षा में बोर्ड परीक्षाओं को अनिवार्य करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अब अगले साल से 10वीं के स्टूडेंट को बोर्ड का एग्जाम देना होगा.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) इस महीने के अंत में बैठक करेगा और इसमें अगले शैक्षणिक सत्र से दसवीं बोर्ड परीक्षा को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव पारित होगा.
उन्होंने कहा था कि मुझे विश्वास है कि 2017-18 शैक्षणिक सत्र से सभी छात्रों के लिए बोर्ड परीक्षा अनिवार्य होगी. यह अनुचित है कि 2.3 करोड़ छात्र विभिन्न राज्य बोर्ड की परीक्षा दे रहे हो जबकि 20 लाख छात्र बोर्ड परीक्षा नही दे रहे हों. गौरतलब है कि सीबीएसई ने छह साल पहले दसवीं में बोर्ड की परीक्षा देने को वैकल्पिक कर दिया था.
इसके तहत कुल अंकों का 80 प्रतिशत हिस्सा बोर्ड एग्जाम पर और 20 प्रतिशत हिस्सा आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित होगा. सीबीएसई ने एक सर्वे किया था, जिसमें ज्यादातर ने सहमति जताई थी कि दसवीं का बोर्ड एग्जाम अनिवार्य हो. एक सर्कुलर के जरिए स्कूलों को जल्द ही इस बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी.
एक सूत्र ने बताया कि एक अन्य अहम फैसले में सीबीएसई ने मंत्रालय को यह सिफारिश करने का फैसला किया है कि तीन भाषाओं का फॉर्मूला मौजूदा छठी से आठवीं के साथ-साथ नौवीं और 10 वीं कक्षा तक की विस्तारित की जानी चाहिए. इसके तहत हिन्दी, अंग्रेजी और भारतीय भाषा पढ़ाई जाती है. अधिकारियों ने बताया कि बोर्ड ने केंद्र को यह सिफारिश भेजने का भी समर्थन किया है कि संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाएं तीन भाषा फार्मूला के तहत पढ़ाई जानी चाहिए, जबकि विदेशी भाषाएं चौथी भाषा के रूप में पढ़ाई जानी चाहिए.