'स्कूल' एक ऐसी जगह है, जहां माता-पिता अपने बच्चों को बिना किसी टेंशन के छोड़कर घर चले जाते हैं. प्रद्युम्न मर्डर केस के बाद पैरेंट्स बच्चों की सेफ्टी को लेकर डरे हुए हैं. प्रद्युम्न मर्डर केस से पहले पैरेंट्स यहीं सोचते थे कि 'घर' के बाद अगर बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित जगह कोई और है तो वह है स्कूल. लेकिन, हालात ऐसे हैं कि आज नॉन-वर्किंग और वर्किंग पैरेंट्स दोनों ही अपने बच्चों की सेफ्टी को लेकर सबसे ज्यादा चितिंत हैं.
Central Board Of Secondary Education (CBSE) ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए सरकारी और प्राइवेट स्कूलों के स्टाफ के लिए निर्देश दिए हैं. CBSE का कहना है कि स्कूल में बच्चा अपना आधे से ज्यादा समय बिताता है और एक्टिव रहता है. इसलिए बच्चों का ख्याल रखना स्कूल की जिम्मेदारी है.
CBSE ने कहा है कि देश में बढ़ते बाल दुर्व्यवहार की वजह से स्कूल परिसर पर खास ध्यान दिया जाना चाहिए. ताकि बच्चे पर मानसिक और शारीरिक रूप से किसी भी प्रकार का असर ना पड़े. ना ही बच्चा किसी भी प्रकार के शोषण का शिकार हो. उनका कहना है कि ये सब तभी मुमकिन है, जब स्कूल का स्टाफ मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ हो.
CBSE ने कड़े निर्देश देते हुए कहा है कि स्कूल का हरेक कर्मचारी जैसे:- प्रिंसिपल, टीचर, बस ड्राइवर, कंडक्टर, गार्ड या अन्य सभी का पुलिस वेरिफिकेशन के साथ और Psychometric Evaluation Test यानी मानसिक स्थिति की जांच के बाद ही इनकी नियुक्ति की जाए.
सीबीएसई ने कहा है कि जो भी स्टाफ स्कूल में नियुक्त हो, ध्यान रखा जाए कि वह किसी अधिकृत एजेंसी से हो. साथ ही उस व्यक्ति के सारे रिकॉर्ड मौजूद हों. बता दें कि पिछले कुछ दिनों में जिस तरह की घटनाएं सामने आई हैं, सरकार प्राइवेट और सरकारी स्कूलों की गतिविधियों पर पैनी नजर बनाए हुए है.
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