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NET: जंपसूट पहनकर गई परीक्षा देने, फिर फेसबुक पर लिखा ये दर्द

CBSE NET 2018: दिल्ली यूनिवर्सिटी की ये छात्रा जंपसूट पहनकर गई परीक्षा देने, तो DPS स्कूल के टीचर्स ने उसे वापस घर लौटा दिया... फिर फेसबुक पर बताई आपबीती...

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Tirna Sengupta (Photo: Facebook)
Tirna Sengupta (Photo: Facebook)

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8 जुलाई को देशभर में नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NET) की परीक्षा आयोजित की गई थी. जिसमें लाखों उम्मीदवारों ने भाग लिया. वहीं दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक छात्रा को इसलिए परीक्षा में नहीं बैठने दिया क्योंकि वह परीक्षा देने जंपसूट पहन कर आई थी. बता दें, जंपसूट एक तरह का मॉडर्न ड्रेस है जिसमें पैंट और शर्ट जुड़े हुए होते हैं.

परीक्षा में न बैठने का दुख दिल्ली यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी में मास्टर्स करने वाली तिरना सेनगुप्ता फेसबुक पर बयां कर दिया और लिखा- 'दिल्ली पब्लिक स्कूल, सिलीगुड़ी में सीबीएसई द्वारा आयोजित नेट की परीक्षा थी. जिसमें जब मैं परीक्षा देने जा रही थी तो गेट में खड़े वहां के टीचर्स ने मुझसे मेरे कपड़ों को लेकर कई सवाल किए और कहा कि आप इस तरह के कपड़े पहन कर परीक्षा देने नहीं आ सकती. तिरना ने लिखा- कपड़ों को लेकर किए गए सवालों पर मुझे काफी शर्मिदगी महसूस हुई. मैं पहले भी जंपसूट पहन कर कई परीक्षा दे चुकी हूं क्योंकि इस तरह की ड्रेस मेरे लिए कंफर्टेबल है. 

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आपको बता दें, नेट की परीक्षा पहले यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) की ओर से आयोजित की जाती थी, लेकिन कुछ सालों से इसे सीबीएसई की ओर से आयोजित किया जा रहा है. वहीं नेट की परीक्षा में ड्रेसकोड के लिए कोई गाइडलाइन नहीं है. केवल इलेक्ट्रॉनिक सामान और घड़ी पहनकर आप परीक्षा में नहीं बैठ सकते.

वहीं तिरना ने कहा- ''मुझे मेरे कपड़ों को लेकर काफी शर्मिदा किया गया. लेकिन कई ऐेसे उम्मीदवार भी थे जिन्हें घड़ियों के साथ एंट्री दी जा रही थी. उन्होंने कहा- मैं जरूर नेट की परीक्षा के लिए ड्रेस कोड के दिशानिर्देशों का पालन करती अगर कोई गाइडलाइन होती तो''.  उन्होंने कहा-  ''न तो मैं घड़ी पहनकर आई थी इसके अलावा एडमिट कार्ड और बाकी जरूरी चीजें मेरे पास थी. वहीं सिर्फ मेरे कपड़ों की वजह से मुझे परीक्षा केंद्र में एंट्री नहीं दी गई''.

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घर जाकर बदले कपड़े..

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार तिरना ने बताया उसने डीपीएस (DPS) के टीचर्स से पूछा भी कि मुझे क्यों नहीं अंदर जाने दिया जा रहा है. लेकिन बाद मैं मुझे एहसास हुआ कि अभी उन सभी टीचर्स से बात करना बेकार है. क्योंकि समय की बर्बादी हो रही है और परीक्षा शुरू होने में कम ही समय बाकी रह गया है.

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तिरना को महसूस हो गया था वह चाहे कितनी भी कोशिश कर लें लेकिन वहां की टीचर्स जंपसूट में अंदर जाने नहीं देंगी. ऐसे में तिरना ने अपने करियर के बारे में सोचते हुए तुरंत एक फैसला लिया. वह बिना समय की बर्बादी किए घर गई और सलवार-कमीज पहन कर आई. फिर जाकर उन्हें परीक्षा केंद्र के अंदर जाने दिया. वहीं तिरना ने बताया- "परीक्षा केंद्र के बाहर कोई भी मेरे समर्थन में नहीं बोला. इस दौरान मुझे अपमान और तनाव दोनों ही झेलना पड़ा".

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