हम सब की ख्वाहिश होती है कि अच्छे से अच्छा कॉलेज ज्वॉइन करें और वहां से
पढ़ाई करने के बाद जॉब की तलाश करें. लेकिन हमारे बीच कई ऐसे स्टूडेंट्स
होते हैं जो अपने आइडियाज से एक-दो साल में जॉब देने वाली कंपनी खड़ी कर
देते हैं. इन्हीं में से एक हैं 27 साल के दीपक रविन्द्रन.
बीच में छोड़ी पढ़ाई
दीपक ने 2008 में एसएमएस बेस्ड इंस्टैंट सर्च इंजन की शुरुआत की थी. इसको शुरू करने से पहले वे केरल के लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में पढ़ाई कर रहे थे. मगर इनोज को शुरू करने के लिए उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी. इनोज की खासियत यह थी कि यहां मोबाइल यूजर्स इसके फ्लैगशिप प्रॉडक्ट से SMS पर वेब सर्च कर सकते थे. इन्होंने अनलिमिटेड सर्च सर्विस देने के लिए लीडिंग टेलिकॉम ऑपरेटर्स से पार्टनरशिप करके 2008 से 2013 के बीच में 150 करोड़ रुपये कमाए थे.
नाकामयाबी का दौर
मगर टेक्नोलॉजी में हुए प्रोग्रोस के कारण 2013 में चैटिंग एप्स और स्मार्टफोन लोगों ने आसानी से एक्सेस करना शुरू किया, जिससे यह कंपनी फेल हो गई. इसके बाद इस नाकामयाबी से सीखते हुए उन्होंने 2014 में अमेरिकी मार्केट के लिए सवाल-जवाब वाला ऐप क्वेस्ट बनाया. मगर बजट की कमी के कारण यह शुरू ही नहीं हो पाया. मगर इसके बाद मेसेजिंग ऐप 'लुकअप' शुरू किया. इस ऐप को अबतक 5 लाख बार डाउनलोड किया जा चुका है. इस ऐप के जरिए अभी तक 1 करोड़ मेसेज डेलिवर हुए हैं और कई इंवेस्टर्स से यह सीड फंड के तौर पर 4 लाख डॉलर भी जुटा चुकी है.
टैलंट ने दिलाया भरोसा
लुकअप की मदद से पास पड़ोस के स्टोर और दुकानों से घर बैठे ही खरीदारी की जा सकती है. यहां खरीददारों से बिना नंबर शेयर किए चैट करने की आजादी है. 'लुकअप' ने SMS और व्हाट्सएप पर लुकअप लाइट के नाम से एक नया संस्करण शुरू किया है, इससे ग्राहक विशेषज्ञों से सलाह भी कर सकते हैं. इस कंपनी में इंफोसिस के क्रिस गोपालकृष्णन ने करीब 18 करोड़ का निवेश किया है. यही नहीं कई दूसरे इंवेस्टर्स भी इसमें अपना पैसा लगा रहे हैं.