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यूजीसी की नेट परीक्षा में बदलाव की तैयारी, वेबसाइट पर मांगे गए सुझाव

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की नेट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) परीक्षा में बदलाव हो सकता है. यूजीसी ने इसके लिए एक ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी जारी कर परीक्षार्थियों से इस पर फीडबैक मांगा है.

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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की नेट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) परीक्षा में बदलाव हो सकता है. यूजीसी ने इसके लिए एक ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी जारी कर परीक्षार्थियों से इस पर फीडबैक मांगा है.

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यूजीसी के अधिकारियों का मानना है कि देश में उच्च शिक्षण कार्य के लिए शिक्षकों की कमी है. नेट परीक्षा बदलाव को लेकर अक्सर छात्र विरोध-प्रदर्शन करते आए हैं. ऐसे में परीक्षा में किस तरह का पैटर्न होना चाहिए और किस प्रकार के बदलाव यूजीसी स्तर पर किए जा सकते हैं, उसी को लेकर यह प्रश्नोत्तरी परीक्षार्थियों की फीडबैक के लिए यूजीसी की वेबसाइट पर अपलोड की गई है.

क्या हैं सवाल?
यूजीसी ने 10 प्रश्नों वाली इस सारणी में पूछा है कि क्या नेट उच्च शिक्षा में शैक्षणिक कार्य तय करने में अहम है, नेट परीक्षा में आयु सीमा तय होनी चाहिए, एमए प्रथम वर्ष के छात्र को क्या नेट परीक्षा में बैठने के लिए अनुमति दी जानी चाहिए, क्या नेट परीक्षा के पैटर्न में बदलाव की जरूरत है, इन तमाम सवालों के जवाब यूजीसी की वेबसइट पर 'हां' और 'नहीं' में पूछे गए हैं.

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नेट परीक्षा में निगेटिव मार्किंग के चलते इसका परिणाम बहुत ही कम आता है. इसलिए फीडबैक में यह भी पूछा गया है कि निगेटिव मार्किंग होनी चाहिए या नहीं. इसके अलावा जेआरएफ के लिए क्या आयु सीमा बढ़नी चाहिए, क्या सभी विषयों का क्वालीफाइंग कट ऑफ एक होना चाहिए. हाल ही में नेट परीक्षा का आयोजन यूजीसी की बजाए अब सीबीएसई को सौंपा गया है.

क्या है नेट परीक्षा?
दरअसल एमए पास छात्र इस परीक्षा में बैठ सकते हैं और नेट क्वालीफाई होने के बाद ही किसी कॉलेज या उच्च शिक्षण संस्थान में संबंधित विषय के छात्रों को पढ़ा सकते हैं। लेक्चरशिप के लिए यह अनिवार्य योग्यता है.

क्या है प्रक्रिया?
नेट परीक्षा में एक ही दिन में तीन पेपर होते हैं. दो पेपर एक साथ होते हैं, जिसमें पहला पेपर सामान्य ज्ञान, दूसरा पेपर विषय आधारित और तीसरा पेपर पूर्ण विषय आधारित होता है. पहला पेपर क्लियर करने के बाद दूसरा पेपर चेक होता है और दूसरा पेपर क्लियर होने के बाद तीसरा पेपर चेक होता है. खास बात यह है कि तीनों पेपर क्लियर होने के बाद भी अगर छात्र एक तय कट ऑफ को नहीं छू पाता तो वह अयोग्य करार दिया जाता है.

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