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मिलिए- इस IAS ऑफिसर से, सरकारी स्कूलों के लिए किया ये खास काम

जानें- एक ऐसी आईएएस ऑफिसर के बारे में जो समाज के कल्याण के साथ-साथ स्कूली बच्चों का भविष्य भी संवार रही हैं...

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प्रियंका शुक्ला ( फोटो: फेसबुक)
प्रियंका शुक्ला ( फोटो: फेसबुक)

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आज हम ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक IAS ऑफिसर हैं और समाज की सेवा के साथ- साथ कई बच्चों के भविष्य को निखारने का काम कर रही हैं. बता दें, 2009 बैच की आईएएस ऑफिसर प्रियंका पहले डॉक्टरी की डिग्री ले चुकी हैं.

इन दिनों प्रियंका छत्तीसगढ़ की सामाजिक समस्याओं को सुधारने का काम कर रही हैं. खास तौर पर वहां के बच्चों के लिए. बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्होंने साल 2016 में 'यशस्वी जशपुर' नाम से एक अभियान शुरू किया था जिससे हायर सेकेंडरी और हाई स्कूलों की हालत सुधारी जा सके.

जानें- क्या है 'यशस्वी जशपुर' अभियान

'यशस्वी जशपुर' में जो भी फंड जमा होता है वह डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन (DMF) के जरिए पूरा किया गया है. यह फाउंडेशन उन जिलों में बनाया गया है जहां पर स्कूलों और शिक्षा की गुणवत्ता में काफी सुधार करना बाकी है. जो भी पैसे इस फंड से मिलते हैं वह जिले के विकास के लिए खर्च कर दिए जाते हैं.

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वहीं इस फंड से छत्तीसगढ़ में काफी सुधार आया है. जिसमें 143 सरकारी स्कूल में से 51 स्कूलों का रिजल्ट 100 प्रतिशत रहा है. बता दें, ये प्रतिशत इस साल पास हुए 10वीं-12वीं पास छात्रों का ही है. वहीं जशपुर जिला रायपुर से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर है जहां आदिवासियों की आबादी 67 प्रतिशत हैं. रिजल्ट 100 प्रतिशत आना कभी जशपुर के लिए एक सपना था, लेकिन आज प्रियंका शुक्ला की वजह से ये संभव हो पाया है. उन्होेंने बताया जो बच्चे अच्छा प्रदर्शन करते हैं उन्हें दूसरी जगहों पर फ्लाइट से घुमाने भी ले जाया जाता है.

कैसे हासिल किया बढ़िया रिजल्ट

प्रिंयका ने बताया सरकारी स्कूल में टाइमटेबल में पहले हमने कई चीजों का जोड़ा. जिससे बच्चों को फायदा मिल सके. इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मदद भी ली गई. पढ़ाई के लिए मॉक प्रश्न पत्र तैयार किए जाते हैं और फिर जिले के बच्चों को भेजे जाते हैं.  जो छात्र अच्छा प्रदर्शन करता है उनके काम को यशस्वी जशपुर की वेबसाइट पर भी दिखाया जाता है. ऐसे में बच्चों का हौसला और बढ़ता है. प्रिंयका की इस पहल ने कई बच्चों का भविष्य सुधारने का काम रही है.

समाज के लिए प्रियंका ने कई काम किए हैं. उन्होंने पिछले साल अगस्त में स्थानीय प्रशासन ने मानव तस्करी के पीड़ितों के लिए बेकरी खोलने में मदद की थी. जिसका नाम 'बेटी जिंदाबाद बेकरी' रखा गया था. बता दें, ये बेकरी 20 लड़कियों ने मिलकर शुरुआत की थी.

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