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ऑनलाइन सिस्टम से PET और PMT कोचिंग कराए जाने की योजना ठप्प

छत्तीसगढ़ में सरकारी स्‍कूलों के छात्रों को ऑनलाइन तरीके से PET और PMT की कोचिंग देने का सिस्टम पूरी तरह फेल हो गया है.

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State Council of Educational Research and Training
State Council of Educational Research and Training

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छत्तीसगढ़ में सरकारी स्‍कूलों के छात्रों को ऑनलाइन तरीके से PET और PMT की कोचिंग देने का सिस्टम फेल हो गया है. हाल यह है कि 28 हजार छात्रों को इस सिस्टम के माध्यम से कोचिंग दी गई, इस पर सरकारी खजाने से 18 करोड़ रुपये खर्च हो गए, लेकिन एक भी छात्र को ना तो PMT में स्थान मिला और ना ही PET में.

अब इस सिस्टम को लेकर शिक्षाविद उंगलियां उठा रहे हैं. उनकी दलील है कि सरकारी ढर्रे और गैर पेशेवर तरीके से इसका संचालन होने के चलते छात्रों का सिर्फ समय बर्बाद हुआ है.

एजुसेट सिस्टम और उसका उद्देश्य
सरकारी स्‍कूलों में PCM अर्थात फिजिक्स, केमेस्ट्री और मैथ्स के शिक्षकों की कमी के चलते राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (SCERT) में आठ साल पहले इस सिस्टम को डेवलप किया था. इसके तहत करीब 250 स्‍कूलों के एक विशेष कमरे को हाईटेक कोचिंग रूम में तब्दील किया गया था. यहां प्रोजेक्टर, कंप्‍यूटर और इंटरनेट सुविधा दी गयी थी. सेटेलाइट के जरिए छात्रों को PCM की पढ़ाई के अलावा PET और PMT की कोचिंग दी जाती थी. इस कोचिंग के लिए शिक्षक, प्राचार्य अलग से भुगतान किया जाता था. बताया जा रहा है कि एक सेंटर पर सालाना 6 लाख रुपये खर्च होते थे. कई सेंटर दो चार माह चलते फिर बंद हो जाते और फिर रकम निकालने के लिए संचालित हो जाते.

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प्रसारण सिस्टम डेढ़ साल से ठप्प
SCERT के मुख्यालय में ही एजुसेट सिस्टम डेढ़ साल से ठप्प पड़ा है. बताया जा रहा है कि शार्ट सर्किट से इसके कई पार्ट्स जल गए. इस सेंटर का संचालन दिल्ली की एक कंपनी के मध्यम से किया जाता है. इंजीनियर 3-4 बार विजिट कर चुके हैं, लेकिन अब तक प्रसारण शुरू नहीं हो पाया है. एजुसेट प्रभारी दीपांकर भौमिक के मुताबिक, इस सिस्टम से बच्चों को लाभ मिल रहा था. प्रसारण जल्द शुरू करने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अधिकारियों से बातचीत चल रही है.

ऐसा नहीं है कि इन वर्षो में सरकारी स्कूलों के कोई छात्र PET और PMT में सिलेक्ट नहीं हुए. सरकारी स्‍कूलों के सैकड़ो छात्रों ने इन वर्षो में PET और PMT में बाजी मारी, लेकिन उन्होंने निजी कोचिंग संस्थाओ में अध्ययन किया. एजुसेट सिस्टम में उन छात्रों की फेहरिस्‍त जमा है, जिन्होंने यहां कोचिंग ली है. लेकिन 28 हजार छात्रों की सूची में एक भी छात्र ऐसा नहीं पाया गया जो PET या PMT में सिलेक्ट हुआ हो. शिक्षाविद मांग कर रहे है कि यह योजना सिर्फ सरकारी धन का अपव्यय बन कर रह गयी है. वहीं छात्रों का समय भी खराब कर रही है. इससे बेहतर है कि उसी रकम से छात्रों को विशेष शिक्षकों के जरिए कोचिंग कराई जाए.

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