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भारत में प्लानिंग ही चलती रही, चीन ने खड़ी कर दी अपनी 'नालंदा यूनिवर्सिटी'

बिहार स्थ‍ित नालंदा यूनिवर्सिटी को दोबारा बनाने को लेकर भारत में जहां पिछले एक दशक से प्लानिंग ही चल रही है, वहीं पड़ोसी देश चीन ने अपनी नालंदा यूनिवर्सिटी खड़ी भी कर दी है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इसी साल सितंबर से 220 छात्रों का एक बैच इसमें पढ़ना भी शुरू कर देगा.

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चीनी नालंदा यूनिवर्सिटी
चीनी नालंदा यूनिवर्सिटी

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बिहार स्थ‍ित नालंदा यूनिवर्सिटी को दोबारा बनाने को लेकर भारत में जहां पिछले एक दशक से प्लानिंग ही चल रही है, वहीं पड़ोसी देश चीन ने अपनी नालंदा यूनिवर्सिटी खड़ी भी कर दी है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इसी साल सितंबर से 220 छात्रों का एक बैच इसमें पढ़ना भी शुरू कर देगा.

वहीं दूसरी ओर 455 एकड़ में फैले बिहार स्थ‍ित वास्तविक नालंदा कैम्पस को बनाने पर भारत की प्लानिंग अब तक पूरी नहीं हो सकी है.

चीन के शिक्षा मंत्री ने इस कॉलेज में एडमिशन होने तक प्रोजेक्ट को गुप्त रखा था. बता दें कि चीन स्थ‍ित नालंदा यूनिवर्सिटी जैसे इस कॉलेज में मई से एडमिशन शुरू हो गया है.

साल 2006 में भारत में मौजूद नालंदा यूनिवर्सिटी को दोबारा खड़ा करने का आइडिया भी चीन ने ही दिया था. इसके बाद मनमोहन सिंह सरकार के दौरान साल 2007 में संस्थान को बनाने और शुरू करने के लिए मेंटर्स की एक टीम बनाई गई. इस टीम में नोबल पुरस्कार विजेता आमर्त्य सेन जैसे दिग्गजों को शामिल किया गया.

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नालंदा यूनिवर्सिटी की तर्ज पर बनाए गए हस चीनी कॉलेज का नाम Nanhai Buddhist College है, जो 618.8 एकड़ में फैला है और यह समुद्र के ठीक किनारे नानशान पहाड़ों पर स्थित है. यहां तक कि यह कॉलेज जिस समुद्र तट पर स्थ‍ित है, उसे 'ब्रह्मा शुद्ध धरती' (Brahma Pure Land) का नाम दिया है, जिसका कॉन्सेप्ट 'योग वसिष्ठ' और महायान बौद्ध धर्म से बिल्कुल मिलता-जुलता है.

इसमें बौद्ध धर्म, तिब्बती बौद्ध धर्म, बौद्ध वास्तुकला डिजाइन और अनुसंधान संस्थान समेत 6 विभाग होंगे. नालंदा यूनिवर्सिटी की तर्ज पर बने इस चीनी कॉलेज में तीन भाषाओं पाली, तिब्बती और चीनी भाषा में पढ़ाई होगी. चीन ने मॉन्क यीन शुंग को यूनिवर्सिटी का डीन बनाया है.

सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी
नालंदा यूनिवर्सिटी दुनिया की सबसे प्राचीन यूनिवर्सिटी है. जिसके अवशेषों की खोज अलेक्सजेंडर कनिघंम ने की थी. माना जाता है कि आज से करीब 824 साल पहले पढ़ाई होती थी. इसकी स्थापना 450 ई. में गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त ने की थी. इनके बाद हर्षवर्द्धन, पाल शासक और विदेशी शासकों ने विकास में अपना पूरा योगदान दिया. गुप्त राजवंश ने मठों का संरक्षण करवाया. 1193 ई. में आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय को तहस-नहस कर जला डाला था. भगवान बुद्ध भी यहां आये थे. खासकर पांचवीं से 12वीं शताब्दी तक बौद्ध शिक्षा केन्द्र के रूप में यह विश्व प्रसिद्ध था. यह दुनिया का पहला आवासीय महाविहार था, जहां 10 हजार छात्र रहकर पढ़ाई करते थे. इन्हें पढ़ाने के लिए 2000 शिक्षक थे.

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आवासीय स्कूल
दुनिया की सबसे प्राचीन रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी में से एक नालंदा यूनिवर्सिटी में समग्र पाठ्यक्रम था और यहां दुनिया भर से लोग पढ़ने आते थे.

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