भारत ही नहीं पड़ोसी देश चीन में सिविल सर्विसेज को लेकर खासा क्रेज है और वहां भी युवा इस प्रतिष्ठित नौकरी को हासिल कर अपना करियर सुनिश्चित करना चाहते हैं.
चीन में बीते रविवार को आयोजित प्रतिष्ठित नेशनल पब्लिक सर्वेंट एग्जाम में करीब 11 लाख से ज़्यादा लोगों ने हिस्सा लिया. जबकि पिछले साल 984,000 प्रतिभागियों ने परीक्षा दी थी. चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, ऐसा दूसरी बार हुआ है जब यह आंकड़ा 10 लाख के पार गया.
इस साल चीन में करीब 28,000 सीट भरी जानी है, जो पिछले साल की तुलना में 1,472 अधिक है. प्रतिभागियों की संख्या और रिक्त सीट के आधार पर देखा जाए तो हर 39 में से एक को नौकरी मिलेगी.
पिछले साल के लिहाज से तुलना की जाए तो इस 76,000 प्रतिभागी बढ़े. भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) की तरह चीन में इस सेवा को लेकर खासा क्रेज है. रविवार को आयोजित लिखित परीक्षा का परिणाम अगले साल जनवरी में आएगा, जिसमें सफल प्रतिभागियों को मार्च में साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा.
कम सैलरी के बाद भी क्रेज
भारत की तरह चीन में भी सिविल सर्वेंट की नौकरी को लेकर युवाओं में खास तरह की दीवानगी है. वेतन और अन्य सुविधाएं कम होने के बावजूद युवा सरकारी नौकरी हासिल कर अपना करियर स्थायी करना चाहते हैं, इस कारण यह परीक्षा बेहद प्रतिस्पर्द्धात्मक हो गई है.
इस परीक्षा को चीन में 'सुनहरे चावल से भरा कटोरा' समझा जाता है. 5 घंटे चलने वाले इस परीक्षा में पहले 2 घंटे एप्पिट्यूट टेस्ट के लिए रहा जिसमें 135 बहुविकल्पीय सवाल पूछे गए. इसके बाद 3 घंटे तक कई विषयों पर निबंध लिखना होता है. 18 से 35 साल के आयु के लोग इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.