चारों ओर से हरियाली की चादर ओढ़े परिसर और वाइ-फाइ जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ क्राइस्ट यूनिवर्सिटी भारत में बेहतरीन शिक्षा प्रदान करने वाले प्रमुख केंद्र के रूप में उभरकर सामने आई है. बेंगलूरू में आप किसी भी छात्र से बात करिए. उसका एक ही जवाब होता है, “क्राइस्ट में पढ़ाई करना उसका सपना है.” क्राइस्ट यूनिवर्सिटी की स्थापना 1969 में क्राइस्ट कॉलेज के रूप में हुई थी और 2008 में इस यूनिवर्सिटी बनी. यह बेंगलूरू की संस्कृति और पहचान बन गई है. यहां से शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों में गर्व का भाव रहता है, फिर वे चाहें जहां कहीं भी रहें.
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर फादर थॉमस सी मैथ्यू बताते हैं कि दिन प्रति दिन बदलते शिक्षा जैसे क्षेत्र में अग्रणी बने रहना हमेशा बड़ी चुनौती होती है. वे कहते हैं, “हमारी व्यवस्था का मुख्य केंद्र नवीनता है. हमारे यहां छात्रों के लिए इंटरडिसिप्लिनरी दृष्टिकोण है, जबकि शिक्षक वर्ग का विकास एक हमेशा चलने वाला कार्यक्रम है. हम हर साल अपने अनुसंधान उपकरणों, खासकर तकनीकी को भी अपग्रेड करते हैं.”
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के बीबीए कोर्स में हर साल हजारों छात्र दाखिला लेना चाहते हैं, परंतु यहां दाखिला इतना आसान भी नहीं है. इसके लिए छात्रों को प्रवेश परीक्षा पास करनी होती है. क्राइस्ट यूनिवर्सिटी के एसोसिएट डीन और कॉमर्स और मैनेजमेंट विभाग में प्रोफेसर सुरेश पै बताते हैं, “हम पूर्णतावादी शिक्षा पर ज्यादा जोर देते हैं. मसलन, यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे छात्रों में वित्तीय और बैंकिंग विषयों की अच्छी समझ हो, हम उन्हें स्थानीय समुदाय के साथ घुलने-मिलने और बैंक खाते खुलवाने में उनकी मदद करने की सुविधा प्रदान करते हैं. इस प्रक्रिया के जरिए हम छात्रों में सेवा भाव की भावना भी जगाते हैं. ठीक उसी तरह हम उद्योग जगत से जुड़े बड़े-बड़े लोगों के साथ छात्रों की परिचर्चा कराकर उन्हें अपने भविष्य को समझने का एक बेहतर मौका भी मुहैया कराते हैं.”
चार अलग-अलग विषयों में विशेषज्ञता वाले बीबीए कोर्स को सबसे अत्याधुनिक पाठ्यक्रम माना जाता है. स्किल डेवलपमेंट सब के लिए अनिवार्य है, पांचवें सेमेस्टर में कौशल विकास का कोर्स विशेषज्ञता के साथ होता है.
प्रोफेसर पै कहते हैं, “आज हमारे बीबीए के छात्र दूसरे जगह के एमबीए के छात्रों से बेहतर या बराबर हैं. निजी क्षेत्र में हमारे छात्रों की भारी मांग है, जिसे हम चाहकर भी पूरा नहीं कर पा रहे हैं.”
यहां शिक्षा के दौरान छात्रों को उद्यमिता और व्यावसायिक हुनर का ज्ञान भी मिलता है. क्राइस्ट यूनिवर्सिटी अपने यहां “परिवर्तन” नाम से परियोजना भी चलाती है, जिसके तहत यूनिवर्सिटी परिसर में पैदा होने वाले कचरे का दोबारा इस्तेमाल करते हुए उससे कागज संबंधी फाइल, फोल्डर, ग्रीटिंग्स, कार्ड और ऑफिस में प्रयोग में आने वाली अन्य सामग्री का निर्माण किया जाता है.
क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में मैनेजमेंट स्टडीज विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर जैन मैथ्यू कहते हैं, “बीबीए के छात्र यह सुनिश्चित करते हैं कि इन उत्पादों की सही तरीके से मार्केटिंग हो. वे इस कारोबार के हर पहलू का ध्यान रखते हैं. इसके जरिए हम उनके अंदर उद्यमिता कौशल का विकास भी करते हैं.”
बीबीए अध्ययन के रिसर्च आधारित होने की वजह से छात्र नई-नई जानकारियां भी पैदा करते हैं. उनके साथ पेशेवरों जैसा बर्ताव किया जाता है. इससे उन्हें शिक्षा के साथ ही असल जिंदगी का सबक भी मिल जाता है.