सिविल सर्विस की परीक्षा में हिंदी मीडियम से टॉप करने वाले निशांत जैन का
मानना है कि सिविल सेवा के लिए स्टूडेंट्स को अपने स्कूल की पढ़ाई के समय
से ही ध्यान देना चाहिए.
अपने दूसरे प्रयास में हिंदी माध्यम से सफल हुए निशांत ने कोचिंगों के बढ़ते प्रभाव के बारे में कहा,'जब एनसीईआरटी की किताबें छठी से लेकर बाहरवीं तक के लिए उपलब्ध हैं, तो हम उनकी पढ़ाई उसी समय सही तरीके करनी चाहिए ताकि बाद में उन विषयों के लिए किसी तरह की कोचिंग की आवश्यकता न हो.'
यह पूछे जाने पर कि यह प्रयास तो स्टूडेंट्स की ओर से होगा लेकिन क्या इसमें भारत की शिक्षा व्यवस्था का कोई दोष नहीं है, उसके जवाब में निशांत ने कहा, 'पहले हमें यह देखना होगा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में कमी है या हम में ही कोई कमी है. रही बात व्यवस्था के स्तर पर तो सारे नियम बने हुए हैं कि स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए, यह व्यवस्था का हिस्सा है लेकिन इन्हें जितना अधिक व्यवहारिक रूप से लागू किया जाए उतना ही अच्छा है.
निशांत से जब पूछा गया कि क्या शैक्षणिक संस्थानों में सरकारी हस्तक्षेप होना चाहिए तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही सिविल सेवा दिवस पर कहा था कि लोकतंत्र में संस्थानों में प्रभावी हस्तक्षेप होना चाहिए लेकिन बार बार हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. निशांत ने अपनी ज्यादातर पढ़ाई सरकारी संस्थानों में किया है. इसके बारे में वे बताते हैं कि सरकारी स्कूलों और ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों में कहीं न कहीं आत्मविश्वास की कमी होती है. फिर चाहे वह उनके एक्सपोजर में कमी या व्यक्तिगत रूप से उन पर ध्यान न दिए जाने के कारणों से हो लेकिन सिर्फ यही मसला नहीं है, बहुत कुछ आपके आसपास के माहौल और परिवार के सहयोग पर भी निर्भर करता है. अगर स्टूडेंट्स अपने आसपास की गतिविधियों से सांमजस्य बिठाकर पढ़ाई ठीक से करें तो इस आत्मविश्वास की कमी को भी दूर किया जा सकता है.
जाति के आधार पर उच्च जाति के लोगों के सिविल सेवा परीक्षा में अधिक सफल होने पर निशांत ने कहा कि वे स्वयं जैन समुदाय से आते हैं और महावीर की शिक्षाओं में विश्वास रखते हैं जिन्होंने किसी भी तरह के सामाजिक विभाजन का विरोध किया था. भारत में आरक्षण की व्यवस्था है और वे इस व्यवस्था के मौजूदा स्वरूप को सही मानते हैं जो लोगों को आगे आने का मौका देते हैं.
सिविल सेवा में सीसैट को लेकर रहे भारी विवाद के बारे में निशांत का कहना है कि व्यक्तिगत तौर पर उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं हुई लेकिन फिर भी गणित, एप्टीट्यूड और रीजनिंग के सवालों को लेकर अंग्रेजी माध्यम, इंजीनियरिंग और प्रबंधन के छात्रों को थोड़ी सहूलियत होती है. अब जो यूपीएससी का नया पैटर्न है वह सभी के लिए समग्र है और गांव के स्टूडेंट्स के लिए भी नए रास्ते खोलने वाला है. हिंदी के विकास को लेकर निशांत प्रधानमंत्री के उस वक्तवय का समर्थन करते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत की आर्थिक प्रगति से हिंदी का भी विकास होगा और नयी सरकार से हिंदी के विकास को लेकर उन्हें उम्मीद है.
इनपुट: भाषा